कलियुग के न्याय देवता कहे जाने वाले सूर्यपुत्र और छायानंदन शनिदेव का एक ऐसा मंदिर है। जो अन्य मंदिरों से पूर्णतः अलग है क्योंकि यहाँ शनिदेव अपने चिर परिचित स्वरूप से भिन्न श्रृंगारित स्वरूप में विराजमान हैं। भक्तों हम बात कर रहे हैं राजमाता अहिल्या बाई होलकर की नगरी इंदौर में स्थित प्राचीन शनिदेव मंदिर की!

 

मंदिर के बारे में:

भक्तों प्राचीन शनि मंदिर मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी के नाम से प्रसिद्ध इंदौर में स्थित है। इंदौर के जूनी इंदौर इलाके में बना यह मंदिर प्राचीनतम शनि मंदिर के नाम से विख्यात है। भक्तों शनिदेव के लगभग सभी मंदिरों में उनकी काली और भयावह व क्रोध से भरी हुई मूर्ति के दर्शन होते हैं जिन पर कोई श्रृंगार नहीं होता। किन्तु यह एक ऐसा मंदिर है जहां प्रतिष्ठित शनिदेव राजसी वस्त्रों और बहुमूल्य आभूषणों से सुसज्जित होकर भयावह नहीं दिव्य और मनोहर स्वरूप में दर्शन देते हैं।

 

मूर्ति का प्राकट्य की कथा:

भक्तों जूने इंदौर स्थित प्राचीन शनि मंदिर में शनिदेव की जो मूर्ति विराजमान है, वह स्वयंभू मूर्ति है। इस मूर्ति के प्राकट्य की एक बड़ी रोचक तथा चमत्कारिक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार- जहाँ प्राचीन शनि मंदिर स्थित है वहां 300 वर्ष पहले एक 20 फीट ऊंचा टीला था, जहां वर्तमान पुजारी के पूर्वज पंडित गोपालदास तिवारी निवास किया करते थे। टीले के पास ही एक कुआं भी था। जहाँ लोग स्नान करते थे और अपने वस्त्र इत्यादि धोते थे। एक रात पंडित गोपालदास तिवारी सो रहे थे तो उनको शनिदेव ने स्वप्न में दर्शन दिया और उन्हें आदेश देते हुए कहा कि “ जिस स्थान पर तुम कपडे धोते हो उसके नीचे मेरी एक मूर्ति है उसे बाहर निकालो”। शनिदेव के आदेश पर पंडित गोपालदास तिवारी विनत भाव से बोले कि “प्रभु आपकी आज्ञा शिरोधार्य है किन्तु मैं दृष्टिहीन हूँ अतः मैं आप की आज्ञा का पालन करने में पूर्णतः असमर्थ हूँ”। तब शनिदेव ने उनसे कहा कि ‘अपनी आंखें खोलो, अब तुम दृष्टिहीन नहीं हो, तुम सबकुछ देख सकते हो”।

भक्तों कहा जाता है कि न्याय के देवता शनिदेव की आज्ञा पर जब पंडित गोपालदास तिवारी ने अपनी आखें खोली तो उन्होंने पाया कि वास्‍तव में उनकी दृष्टिहीनता दूर हो चुकी है। अब वो सबकुछ स्पष्ट देख सकते हैं।

सुबह होते ही पंडित गोपालदास तिवारी कुएं के समीप टीले के नीचे से शनिदेव की मूर्ति निकालने के उपक्रम में जुट गए। उनकी आंखें ठीक होने के चमत्‍कार को देखकर, स्‍थानीय लोगों को उनके स्वप्न की बात पर विश्वास हो गया।अतः वे सभी कुँए से मूर्ति निकालने में पंडित जी की सहायता करने लगे। सभी लोगों सहित पंडित का परिश्रम फलीभूत हुआ और धरती से शनिदेव की मूर्ति प्रकट हो गई। पंडित जी ने स्थानीय लोगों के सहयोग से मूर्ति की स्थापना की। वही मूर्ति आज भी इस मंदिर में स्थापित है।

 

मूर्ति का स्वतः स्थान परिवर्तन:

भक्तों जूने इंदौर के प्राचीन शनि मंदिर में विराजमान शनिदेव के एक बड़े चमत्कार की कथा प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि शनिदेव की मूर्ति पहले वर्तमान में मंदिर में स्थापित श्रीराम दरबार के स्थान पर प्रतिष्ठित थी। जो एक शनिचरी अमावस्या (शनि अमावस्या) के दिन स्वतः अपना स्थान परिवर्तित कर उस स्थान पर आ गई जहां ये वर्तमान में विराजमान है।

 

मंदिर का इतिहास:

भक्तों जूने इंदौर स्थित प्राचीन शनि मंदिर का इतिहास लगभग सैकड़ों वर्ष प्राचीन है। कहा जाता है कि इस मंदिर में शनिदेव के प्रतिष्ठित होते ही नित्य प्रति कई चमत्कारिक और असंभव कार्य होने लगे। जिससे इस मंदिर की तीव्रता से बढ़ती हुई ख्याति, जब तत्कालीन इंदौर की शासिका परम धर्ममती राजमाता अहिल्या बाई होलकर तक पहुँची, तो उन्होंने इस मंदिर में आकर न केवल शनिदेव का दर्शन पूजन किया अपितु यहाँ मंदिर बनवाने में सहयोग करते हुए, इस मंदिर को इंदौर राज्य की भव्य धरोहर की संज्ञा प्रदान की थी। जो अब समूचे देश के लोगों की आस्था का केंद्र बना है।

 

स्वनिर्मित मंदिर:

भक्तों जूने इंदौर स्थित प्राचीन शनि मंदिर किसी संस्था, ट्रस्ट अथवा किसी राजा महाराजा द्वारा निर्मित नहीं है। यह मंदिर पंडित गोपालदास तिवारी और उनके वंशजों द्वारा स्वनिर्मित मन्दिर है। आज भी इस मंदिर पर तिवारी जी के वंशजों का ही आधिपत्य है। वही इसकी देखभाल और प्रबंधन का दायित्व निभाते हैं। वर्तमान पुजारी पंडित गोपाल दास तिवारी जी की सातवीं पीढी के हैं

 

एकमात्र ऐसा शनि मंदिर:

भक्तों जूने इंदौर स्थित प्राचीन शनि मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शनि महाराज स्वयं पधारे थे। इस मंदिर में विराजमान शनिदेव को प्रतिदिन प्रात: दूध और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है, उनको सरसों का तेल नहीं, सिंदूर चढ़ाया जाता है। तत्पश्चात 16 श्रृंगारों से श्रृंगारित किया जाता है। श्रृंगारित शनि महाराज की मूर्ति आकर्षक और मनभावन लगने लगती है।

भक्तों इस मंदिर में विराजमान शनि महाराज अपने भक्तों की झोली सुख और समृद्धि से भरने वाले हैं।

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