मौनी अमावस्या को जो स्नान हेतु प्रयागराज या अन्य नदी व समुद्र आदि नहीं जा सकते वे घर पर अथवा जहां कहीं स्नान करें
वहीं तीर्थराज एवं सप्तनदियों का आवाहन करते हुए निम्नलिखित प्रकार से पुण्य प्राप्ति करनी चाहिए:-
१. बाल्टी से हाथ में जल लें और निम्नलिखित श्लोक बोलकर वह जल वापस बाल्टी में डाल दें।
“गंगे च यमुने चैव नर्मदे चैव सरस्वती।
गोदावरी सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।।”
२. यदि धेनु मुद्रा बनाना जानते हैं तो बाल्टी के ऊपर धेनु मुद्रा बनाकर पांच बार “वं” का उच्चारण करें – वं वं वं वं वं ।
३. इस श्लोक का उच्चारण करते हुए तीर्थराज का स्मरण करें –
“त्रिवेणीं माधवं सोमं भरद्वाजं च वासुकिंम्।
वन्दे अक्षयवटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम्।।”
इसके उपरान्त स्नान करते हुए भावना करें कि प्रयागराज संगम में ही डुबकी लगा रहे हैं।
४. अतिरिक्त विधि –
जिन्होंने गुरुदीक्षा लिया हो , वे अपने गुरुमंत्र का उच्चारण करते हुए अंजलि से तीन बार सिर पर जल डालें । उसके उपरान्त तीन अंजलि जल का पान कर लें। तदुपरान्त इच्छानुसार स्नान करें। (यदि दीक्षागुरु ने कोई विधि बताया हो तो उसी का पालन करें।)