ख्वाजा का मरकज़ी 59वां कुल शरीफ खानकाहे हुसैनी में
कानपुर, खानकाहे हुसैनी के ज़ेरे एहतिमाम जशने गरीब नवाज़ हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती गरीब नवाज़ का 813 वां कुल शरीफ खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह मे अदबो एहतिराम, अकीदत धूम-धाम के साथ मनाया गया।खानकाहे हुसैनी मे बाद नमाज़ फज़िर कुरानख्वानी का एहतिमाम किया गया फिर मज़ार शरीफ का गुस्ल इत्र से कर गुलपोशी की गयी जशन ए गरीब नवाज़ का आगाज़ कलाम ए पाक की तिलावत के साथ हाफिज़ मोहम्मद अरशद वास्ती ने किया शोरा ए कराम ने गरीब नवाज़ की शान मे हम प्यादे है वज़ीरों मे गिने जाते है सिल सिलाएं चिश्त के फकीरों मे गिने जाते है जबसे डाली है ख्वाजा ने इनायत की नज़र काँच के टुकड़े है हीरों मे गिने जाते है।जलसे की सदारत काज़ी ए शहर हज़रत मौलाना सैय्यद कमर शाहजहाँपुरी ने की। जलसे को मुफ्ती मौलाना कारी हसीब अख्तर शाहिदी व मौलाना आफताब आलम ने खिताब करते हुये कहा कि नमाज़ कुरान व इल्म से दूरी रखने वाले मोहब्बत इंसानियत अखलाक से दूर हो रहे है गरीब नवाज़ ने नमाज़ कुरान इल्म को बेहद अहम बताया व मोहब्बत, इंसानियत अखलाक का ऐसा पैगाम दिया जिसकी बदौलत ही हिंदुस्तान मे इतने मज़हब के मानने वाले होने के बावजूद सब एक धागे से बंधे है दुनिया के मुल्क उनके बताए हुए रास्ते पर चलने की प्रेरणा लेकर अपने मुल्क की आवाम को सीख देते है यह हमारी खुशनसीबी है के आका मौला हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स०अ०व०) ने गरीब नवाज़ को हिंद की खिलाफत अता कर हिंदुस्तान भेजा।उर्स में मौलाना काज़ी ए शहर मौलाना कमर शाहजहाँपुरी, बानी जुलूस ए गरीब नवाज़ इखलाक अहमद चिश्ती, सैय्यद मोहम्मद अतहर कादरी, जमालुद्दीन, शमशुद्दीन, गुलज़ार आलम, मोहम्मद निज़ाम, तौफीक रेनू,श, मोहम्मद उमर, नईमुद्दीन, मोहम्मद अज़हर, हाफिज़ मोहम्मद कफील, ज़ियाउद्दीन, सैय्यद मोहम्मद तलहा कादरी, , इस्लाम चिश्ती, फाज़िल चिशती, खादिम खानकाहे हुसैनी अफज़ाल अहमद, नूर आलम, सलामुद्दीन, मोहम्मद आशिक उन्नावी, मोहम्मद मेहनाज, युनुस खान, मोहम्मद हफीज़, शाहिद चिश्ती, इरफान चौधरी, एज़ाज़ अहमद, फुरकान राना, गुफरान मजीद, मोहम्मद रईस आदि सैकड़ो लोग मौजूद थे।