शनिवार प्रभात वन्दन,जय श्री राम जय हनुमान
प्रिय भक्तों ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्यायाधीश कहा गया है यानी मनुष्यों के अच्छे-बुरे कामों का फल शनिदेव ही उसे देते हैं। शनि चालीसा में शनिदेव के 7 वाहनों के बारे में बताया गया है। इसके अलावा शनिदेव के अन्य 2 वाहन भी हैं। शनिदेव के वाहनों की जानकारी इस प्रकार है :-
शनिदेव के सात वाहन हैं- हाथी, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार, शेर, व गिद्ध।
इसके अलावा भैंसा व कौए को भी इनका वाहन माना गया है।
शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर किसी की राशि में प्रवेश करते हैं, उसी के अनुसार उसे अच्छे-बुरे फल की प्राप्ति होती है।
शनि के वाहन निर्धारण का तरीका :- व्यक्ति को अपने जन्म नक्षत्र की संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनों को जोड़कर योगफल को नौ से भाग करना चाहिए। शेष संख्या के आधार पर शनि का वाहन निर्धारित होता है। शनि का वाहन जानने की एक अन्य विधि भी प्रचलन मे है। इस विधि मे निम्न विधि अपनाते हैं :~
1.शनिदेव का वाहन गधा :- जब शनिदेव का वाहन गधा होता है तो यह शुभ नहीं माना जाता है। तब जातक को शुभ फलों को मिलने में कमी होती है। जातक को इस स्थिति में कायों में सफलता प्राप्त करने के लिए काफी प्रयास करना होता है। यहां जातक को अपने कर्तव्य का पालन करना हितकर होता है।
2.शनिदेव का वाहन घोड़ा :- यदि शनिदेव का वाहन घोड़ा हो तो जातक को शुभ फल मिलते हैं। इस समय जातक समझदारी से काम लें तो अपने शत्रुओं पर आसानी से विजय पा सकता है। घोड़े को शक्ति का प्रतीक माना जाता है, इसलिय व्यक्ति इस समय जोश और उर्जा से भरा होता है।
3शनिदेव का वाहन हाथी :- यदि जातक के लिए शनि का वाहन हाथी हो तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। यह जातक को आशा के विपरीत फल देता है। इस स्थिति में जातक को साहस और हिम्मत से काम लेना चाहिए। विपरीत स्थिति में घबराना बिलकुल नहीं चाहिए।
4शनिदेव का वाहन भैसा :- यदि शनिदेव का वाहन भैसा हो तो जातक को मिला-जुला फल प्राप्ति की उम्मीद होती है। इस स्थिति में जातक को समझदारी और होशियारी से काम करना ज्यादा बेहतर होता है। यदि जातक सावधानी से काम न ले तो कटु फलों में वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है।
5.शनिदेव का वाहन सिंह :- यदि शनि की सवारी सिंह हो तो जातक को शुभ फल मिलता है। इस समय जातक को समझदारी और चतुराई से काम लेना चाहिए इससे शत्रु पक्ष को परास्त करने में मदद मिलती है। इस अवधि में जातक को अपने विरोधियों से घबराने या ड़रने की कोई आवश्यकता नहीं है।
6.शनिदेव का वाहन सियार :- यदि शनि का वाहन सियार हो तो जातक को शुभ फल नहीं मिलते हैं। इस दौरान जातक को अशुभ सूचनाएं अधिक मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस स्थिति में जातक को बहुत ही हिम्मत से काम लेना होता है।
7शनिदेव का वाहन कौआ :- यदि शनि का वाहन कौआ हो तो जातक को इस अवधि में कलह में बढ़ोतरी होती है। परिवार या दफ्तर में किसी मुद्दे को लेकर कलह या टकरावों की स्थिति से बचना चाहिए। इस समय जातक को शांति, संयम और मसले को बातचीत से हल करने का प्रयास करना चाहिए।
8.शनिदेव का वाहन मोर :- यदि शनि का वाहन मोर हो तो जातक को शुभ फल देता है। इस समय जातक को अपनी मेहनत के साथ-साथ भाग्य का साथ भी मिलता है। इस दौरान जातक को समझदारी से काम करने पर बड़ी-बड़ी परेशानी से भी पार पाया जा सकता है। इसमें मेहनत से आर्थिक स्थिति को भी सुधारा जा सकता है।
9शनिदेव का वाहन हंस :- यदि शनि की का वाहन हंस हो तो जातक के लिए बहुत शुभ होता है। इस सायम जातक अपनी बुद्धि औए मेहनत करके भाग्य का पूरा सहयोग ले सकता है। इस अवधि में जातक की आर्थिक में सुधार देखने को मिलता है। हंस को शनि के सभी वाहनों में सबसे अच्छा वाहन कहा गया है।
शनि ग्रह वैदूर्यरत्न अथवा बाणफ़ूल या अलसी के फ़ूल जैसे निर्मल रंग से जब प्रकाशित होता है, तो उस समय प्रजा के लिये शुभ फ़ल देता है यह अन्य वर्णों को प्रकाश देता है, तो उच्च वर्णों को समाप्त करता है, ऐसा ऋषि महात्मा कहते हैं। श्री शनिदेव जी की कृपा आप सभी पे बनी रहे,जय हो देवों के देव महादेव जी की
शुभ शनिवार प्रभातहे सूर्य पुत्र,जगत के न्यायाधीश,
श्री शनिदेव महाराज आपके के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम
जय श्री शनिदेव जी मेहरा करो जी
आप अपनी कृपा दृष्टि हम सभी पर बनाएं रखना, ॐ शं शनैश्चराय नमःनिलांजनं समाभासं रविपुत्रम् यमाग्रजम्! छाया मार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्र्वरम्,ॐ हनुमनते नामो नमःॐ शं शनिश्चराय नमः,ॐ प्रां प्रीं प्रों सः शनिश्चराय नमः,जय श्री शनिदेव जी महाराज,प्रभु सभी भक्तजनों पर कृपा दृष्टि बनायें रखना जी सभी स्वस्थ रहे, मस्त रहे,सब का जीवन खुशिया भरा हो सब मंगलमय हो मंगल ही मंगल हो, सुर्य छाया पुत्र कर्म फल दाता श्री शनि देव महाराज जी आप की दया दृष्टि हम सब पर सदा ही बनी रहे हमसब को सद्धबुद्दी देना,दुआओ मे याद रखना भगत जी,सूर्य छाया पुत्र कर्म फल दाता शनिदेव महाराज जी की सदा ही जय जयकार