मोहब्बत के जाम पिलाकर सूफियों ने देश में एकता का पैगाम दिया है:हक्कानी मलंग
कानपुर। सदियों से भारत की भूमि दुनिया भर को मोहब्बत और भाईचारे का संदेश देती चली आ रही है।सूफ़ी संतों की इस धरती भारत में कानपुर शहर हमेशा से सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रवादी गतिविधियों का केंद्र रहा है,कानपुर की पवित्र और पावन धरती से कट्टरपंथी और पाकिस्तान परस्त ताकतों को एक बार फिर ललकारते हुए सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन द्वारा राष्ट्रीय एकता का बिगुल फूंका गया है।
नसीम,समीम,वसीम मंसूरी की जानिब से,मसवानपुर में जश्ने गौसे आज़म,मदारे आज़म,और गरीब नवाज़ मनाया गया। जिसमें खुसूसी खिताब के लिए, सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सूफी शाह सैय्यद जियारत अली मलंग हक्कानी मदारी, सज्जादा नशीन खानकाहे आलिया सामानिया इनायतिया मुबारकिया मदारिया बारा शरीफ अकबरपुर कानपुर देहात,को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।इस मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने लोगों को वतन से मोहब्बत और राष्ट्रीय एकता के लिए प्रेरित किया, उन्होंने कहा कि भारत की खूबसूरत सरजमीन मोहब्बत करने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है,हमारे बुजुर्गों ने हर दौर में दुनिया को मोहब्बत के पैगाम दिए हैं, उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्ग सूफियों ने मोहब्बत के जाम पिलाकर एकता का पैगाम दिया है, कट्टरपंथी शक्तियों को ललकारते हुए उन्होंने कहा कि,हमारी सदियों पुरानी मोहब्बत की तहज़ीब को विदेशी ताकतों के एजेंट कमजोर नहीं। कर सकते।
इस मौके पर शायरे इस्लाम सैय्यद अली शब्बीर जाफरी मदारी सज्जादानशीन -मकनपुर शरीफ,अल्लामां मौलाना हाफ़िज़ अब्दुल रहीम मासूमी मदारी खादिमे आला खानकाहे सामानिया बारा शरीफ अकबरपुर कानपुर देहात, मौलाना असगर अली यार अल्वी रावतपुर कानपुर, सद्दाम हुसैन,आशिक अली उर्फ छोटू बाबा मौलाई, मोहम्मद मोनिस मदारी,शफीक हक्कानी मदारी छोटू मदारी, शकील मदारी, सोहेल मदारी ,आदि मौजूद रहे।