कानपुर
बारादेवी चौराहा सबसे अशांत, शहर में मानक से ज्यादा कई सड़कों पर शोरगुल
35 स्थानों पर स्मार्ट सिटी रख रहा नजर, घंटाघर, जरीबचौकी, सनिगवां रोड पर दिन की अपेक्षा शाम होते ही बढ़ जाता है ध्वनि प्रदूषण
कानपुर शहर में शोर (ध्वनि प्रदूषण) मानकों की सीमा को लांघता जा रहा है। कई क्षेत्रों में तो कानों की बर्दाश्त करने की क्षमता से भी शोरगुल बाहर चला जा रहा है। जिससे नियम तो टूट ही रहे हैं, इसके साथ मनुष्य की श्रवण क्षमता पर असर पड़ने के साथ ही दिमागी कसरत भी बढ़ रही है। पिछले एक सप्ताह में सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण बारादेवी चौराहे पर आंका गया है।यहां 16 तारीख की सुबह 10 बजे ही ध्वनि प्रदूषण 106.94 डेसीबल (डीबी) दर्ज किया गया। इसी दिन घंटाघर पर भी सुबह के समय 101.18 डीबी ध्वनि प्रदूषण रहा। इसके साथ ही शाम होते ही कई चौराहो व सड़कों पर शोरगुल बढ़ जा रहा है। इससे राहगीरों के साथ ही वहां रहने वाले निवासियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कानपुर स्मार्ट सिटी की ओर से 35 स्टेशनों के जरिये शहर में ध्वनि मापक यंत्रों के द्वारा प्रदूषण पर नजर रखी जा रही है। इन मापक यंत्रों में पिछले एक सप्ताह में जो आंकड़े दर्ज हुये वह शहर की नींद खोलने के लिये काफी है। मानकों से ज्यादा क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण है। जिसकी रोकथाम के लिये खास इंतजाम नहीं किये जा रहे हैं।छोटी-बड़ी गाड़ियों में मानक के विपरीत हॉर्न लगाने, अनावश्यक लाउड स्पीकर बजाने, हूटर बजाने से ध्वनि प्रदूषण बड़ रहा है। इसके साथ ही शहर के बीच से जाने वाली रेल गाड़ियों से बजने वाला हॉर्न भी शहरवासियों की समस्या को बढ़ा रहा है। आवासीय, औद्योगिक, व्यावसायिक और साइलेंस जोन में निर्धारित मानकों से ज्यादा शोर है। इसका मतलब साफ है कि शहर में ध्वनि प्रदूषण के बचाव के लिये उपाय नहीं किये जा रहे हैं।
शहर के कई चौराहो और तिराहों पर शाम होते ही ध्वनि प्रदूषण बढ़ जा रहा है। पिछले एक सप्ताह में ही शाम के समय रावतपुर तिराहे पर 92.72, जरीब चौकी पर 91.66, सनिगवां रोड पर 91.05, दीप टॉकीज तिराहे पर 91.3, गोल चौराहे पर 90.52 और फजलगंज चौराहे पर 90.2 डेसीबल अधिकतम ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया है।
शहर में कई क्षेत्रों में आज भी ध्वनि प्रदूषण नहीं है। मैनावती मार्ग इनमें से एक है। जहां अधिकतम ध्वनि प्रदूषण महज 36.62 दर्ज किया गया है। यहां औसतन प्रदूषण का ग्राफ तो इससे भी कम है। इसी तरह संगीत टॉकीज तिराहे के पास भी 19 नवंबर को 36.62 डीबी दर्ज किया गया। इसी तरह जरौली फेस 1, जाजजऊ ब्रिज, सनिगवां मोड़ पर भी कानों को सुकून देने वाला माहौल है।ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल (डीबी) में मापा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) 65 डेसिबल (डीबी) से ऊपर के शोर को ध्वनि प्रदूषण के रूप में परिभाषित करता है। जब यह 75 डेसिबल (डीबी) से अधिक हो जाता है तो यह शोर हानिकारक हो जाता है और 120 डीबी से ऊपर दर्दनाक होता है। इसलिये दिन के दौरान शोर के स्तर को 65 डीबी से नीचे रखने की सिफारिश की जाती है। रात के समय परिवेशीय शोर का स्तर 30 डीबी से अधिक होने पर आरामदायक नींद असंभव है।