इंदौर से करीब 75 कि.मी दूरी पर सीता मन्दिर है , जिसे सीता वाटिका , सीतावन भी कहते हैं l यहाँ से
नर्मदाजी का सबसे बड़ा जलप्रपात धावड़ी कुण्ड , ” धाराजी ” लगभग 10 कि.मी. दूर स्थित है । ( ध्यान रहे कि नर्मदा नदी पर ओमकारेश्वर बांध बनने से धावड़ी कुंड ( धाराजी ) अब जलमग्न हो गया है ) भगवान श्रीराम ने जब सीताजी का परित्याग कर उन्हें वनवास दे दिया था ; कहा जाता है कि
वनवास के समय सीताजी ने इस आश्रम में निवास किया था , यह भी कहा जाता है कि यही महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था l किवदंती है कि प्रतिदिन सूर्य के निकलते ही माता सीताजी लम्बा सफर तय करके नर्मदा किनारे जाते थे और नर्मदा मैया के दर्शन कर उनका आचमन किया करते थे , सीताजी के इस लम्बे सफर के कष्ट को देखकर माँ नर्मदा ने उनके निवास के पास ही बसने का उन्हें आश्वासन दिया तभी से इस आश्रम के समीप ही स्थित है रेवाकुण्ड l सीता माता मन्दिर की पहचान लव – कुश आश्रम के नाम से भी है , ऐसा कहा जाता है कि सीता मन्दिर के पास ही लव — कुश की जन्मस्थली भी है जहाँ माता सीताजी ने लव – कुश को जन्म दिया था l सीता मन्दिर से कुछ दूरी पर नदी के पत्थरों पर घोड़े के टॉप के निशान बने हुए है स्थानीय लोगों का यह मानना है कि यह निशान लव — कुश के घोड़े की टॉप के हैं l सीता मन्दिर में ही 64 योगिनियों और 52 भैरवों की विशाल मूर्तियाँ भी हैं। समीप ही सीताकुण्ड , रामकुण्ड और लक्ष्मणकुड हैं। सीताकुण्ड में हमेशा पेयजल उपलब्ध रहता है। यहाँ से कुछ दूर सीताखोह भी है , जिसके आसपास दुर्घटना से बचाव के लिए कटीले तार लगा दिए गए हैं सीताखोह इतनी गहरी है कि नीचे झांकने पर तलहटी में नदी दिखाई देती है और पत्थर डालने पर आवाज नहीं आती है l सीतावाटिका से करीब 5 कि.मी. की दूरी पर सीताखोह है और सीतावाटिका से करीब 10 कि.मी.दूर गाॅंव पोटला से मात्र 1 कि.मी.की दूरी पर कावड़िया पहाड़़ है l