रक्षाबंधन पर भीड़ इतनी कि बसें पड़ीं कम, सफर में फूला मुसाफिरों का दम

कानपुर: रक्षाबंधन पर भीड़ इतनी कि बसें पड़ीं कम, सफर में फूला मुसाफिरों का दम
Mon, 23 Aug 2021
रक्षाबंधन पर रविवार को झकर कटी बस अड्डे पर जबरदस्त भीड़ उमड़ी। इसके आगे रोडवेज अफसरों की 50 अतिरिक्त बसों की व्यवस्था नाकाफी रही। वहीं, महिलाओं को मुफ्त यात्रा के सरकार के फैसले को ड्राइवर- कंडक्टर धता बताते रहे।

बस अड्डे पर तो वे महिला यात्रियों को नहीं रोक पाए पर रास्ते के स्टॉपेज पर महिला यात्री दिखने पर बस ही नहीं रोकीं। बस अड्डे पर कुछ महिला यात्रियों ने बताया कि ड्राइवर-कंडक्टरों का बर्ताव ऐसा रहा कि मुफ्त यात्रा कराने से इनकी जेब कट रही हो।

भीड़ इतनी कि खिड़कियों से घुसे बस में

सुबह से शाम तक झकरकटी बस अड्डे पर यात्रियों की इतनी भीड़ रही कि जिस रूट की बस जाने को तैयार होती, उसमें चढ़ने के लिए मारामारी मच जाती। पुरुषों की तुलना में महिलाओं व बच्चों की संख्या अधिक रही। गेट से न चढ़ पाने पर तमाम युवा और बच्चों को खिड़कियों के रास्ते बसों में दाखिल किया गया।

कुछ महिलाएं भी खिड़कियों से बसों में बैठने को मजबूर हुईं। भीड़ की वजह से महिलाएं व बच्चे बेहाल दिखे। भीड़ के आगे 50 अतिरिक्त बसें भी कम पड़ गईं। लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, हरदोई, हमीरपुर, महोबा, फतेहपुर, प्रयागराज, शाहजहांपुर की बसें आते ही उनमें जगह पाने के लिए यात्री दौ़ड़ लगाते रहे।

बस अड्डे पर दिनभर यही नजारा रहा। सुबह 11 बजे तक प्रतिदिन चलने वाली बसों के साथ 16 अतिरिक्त बसें रवाना हुई। दोपहर एक से शाम चार बजे तक 43 बसों को रवाना किया गया। निर्देश तो कोविड प्रोटोकॉल के तहत जितनी सीट उतने यात्री ले जाने के थे, लेकिन लगभग हर बस में सीट से डेढ़ या दोगुना यात्री चढ़े। यात्रियों में भी जागरूकता की कमी रही। बिना मास्क और सैनिटाइजर के सफर करते रहे।

बस से उतारा, तो भड़के यात्री
शाम तक बस न मिलने से परेशान यात्रियों ने झकरकटी बस अड्डे पर हंगामा किया। घंटों इंतजार के बाद रायबरेली डिपो की बस मिली तो वे उस पर बैठ गए। थोड़ी देर बाद ड्राइवर ने सभी को उतार दिया और कहा कि बस दूसरे रूट पर जाएगी। इससे गुस्साए यात्रियों ने हंगामा कर नारेबाजी की। रोडवेज के स्टाफ से उनकी नोकझोंक भी हुई।
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यात्रियों से बातचीत

रायबरेली के लालगंज से कानपुर आने के लिए मां के साथ दोपहर साढ़े 12 बजे से इंतजार करती रही। किसी बस ने नहीं रोका। एक बस ने साढ़े तीन बजे रोककर बैठाया तो शाम सात बजे आ सकी। पनकी में घर है। महिला यात्रियों को मुफ्त यात्रा का तोहफा मिलने से कंडक्टर ने सीधे मुंह बात नहीं की। झकरकटी पर कोई शिकायत सुनने वाला नहीं है।- अर्चना, यात्री

– जब मालूम होता है कि हर त्योहार में रायबरेली रूट पर बसों की मारामारी होती है, फिर भी कोई अफसर ध्यान नहीं देता। रोडवेज पर बहुत सख्ती करने की जरूरत है। ये हद से ज्यादा लापरवाह लोग हैं।- भानुप्रताप सिंह, यात्री

मेरे सामने तीन घंटे में तीन बसें रवाना हुईं, लेकिन इतनी भीड़ थी कि अंदर जा चुके लोगों का बुरा हाल था। सोचा था शाम छह-सात बजे तक रायबरेली पहुंच जाऊंगा, लेकिन बस ही नहीं है।- अमित, यात्री

बुंदेलखंड की बसें भी नहीं मिल रही हैं। रोडवेज यात्रियों की नहीं, अपनी सहूलियत देखता है। जिन रूट की सड़कें खराब हैं या वो मेन रूट के शहर नहीं हैं, उन पर बसें भी नहीं होती हैं। कमाई से ज़्यादा, मेंटीनेंस पर खर्च होने के नुकसान का आकलन कर बसें भेजता है। रायबरेली, बांदा, हरदोई जैसे रूट उदाहरण हैं।- वैशाली, यात्री

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