*रविवार विशेष -सूर्य देव*

समस्त ब्रह्मांड को प्रकाशित करने वाले भगवान भास्कर न सिर्फ सम्पूर्ण संसार के कर्ताधर्ता है बल्कि नवग्रहों के अधिपति भी माने जाते हैं। सूर्य देव एक ऐसे देव हैं जिनके दर्शन के बिना किसी के भी दिन का आरंभ नहीं होता है। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है। भगवान सूर्य का दिन होने के कारण रविवार को भगवान सूर्य का उपासना बेहद ही पुण्यकारक माना जाता है। सूर्यदेव को हिरण्यगर्भ भी कहा जाता है। हिरण्यगर्भ यानी जिसके गर्भ में ही सुनहरे रंग की आभा है। इनकी कृपा दृष्टि प्राप्त करने के लिए रविवार के दिन सूर्य भगवान का विधिवत पूजा पाठ करके जल चढ़ाना चाहिए।ऐसा करने से भगवान सूर्य की कृपा हमारे परिवार पर बनी रहती है।

सूर्य- पिता, स्वास्थ्य, यश सम्मान, प्रशासनिक नौकरियां व व्यापार के कारक ग्रह है। कुंडली में इनके शुभ होने से इन सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।

 

उदयगामी सूर्य को प्रणाम करना प्रगति की निशानी है। इसीलिए सुबह- सुबह स्नान करके उगते सूर्य को देखना चाहिए, उन्हें प्रणाम करना चाहिए। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें “ॐ घृणि सूर्याय नम:” या फिर “ॐ सूर्याय नमः” कहते हुए जल अर्पित करें।

 

सूर्य को दिए जाने वाले जल में केवल लाल, पीले पुष्प मिला सकते हैं, लेकिन इसके अलावा और किसी प्रकार की सामग्री जल में नहीं मिलानी चाहिए क्योंकि इससे जल की पवित्रता भंग होती है।

अर्घ्य समर्पित करते समय नजरें लोटे के जल की धारा की ओर रखें। जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिम्ब एक बिन्दु के रूप में जल की धारा में दिखाई देगा।

 

सूर्य को अर्घ्य समर्पित करते समय दोनों भुजाओं को इतना ऊपर उठाएं कि जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिंब दिखाई दे।

सूर्य देव की सात प्रदक्षिणा करें व हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए सूर्यनारायण के समक्ष आप इन मंत्रों का जाप भी कर सकते है-:

 

1- ॐ सूर्याय नम:।

 

2- ॐ मित्राय नम:।

 

3- ॐ रवये नम:।

 

4- ॐ भानवे नम:।

 

5- ॐ खगाय नम:।

 

6- ॐ पूष्णे नम:।

 

7- ॐ हिरण्यगर्भाय नम:।

 

8- ॐ मारीचाय नम:।

 

9- ॐ आदित्याय नम:।

 

10- ॐ सावित्रे नम:।

 

11- ॐ अर्काय नम:।

 

12- ॐ भास्कराय नम:।।

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