गुरु अरजन देव की शहादत में शरबत छबील व प्रसाद को वितरित किया

 

कानपुर, 10 जून गुरुद्वारा बाबा नामदेव जी के प्रांगण में गुरु अरजन देव की शहादत में ठण्डे शरबत की छबील व छोले का प्रसाद आम जन नागरिक को वितरित किया गया व लगे पण्डाल में ही कानपुर शहर के किदवई नगर,11ब्लाक,13 ब्लाक व गुमटी गुरुद्वारे के हजूरी रागी जत्थो द्वारा गुरू अर्जुन देव की शहादत को समर्पित गुरुवाणी कीर्तन व गुरु का इतिहास बताया गया।गुरु अर्जुन देव की शहादत मुगल शासक जहांगीर के शासन में कट्टरपंथी धर्मान्तरण के खिलाफ आवाज उठाने का पहला उदाहरण था गुरू अरजन देव के शरीर को गरम पानी से उबालना, सिर में गरम रेत डालना व जलते तवे में बैठाकर अनेक प्रकार से कष्ट दिये गये थे। उन्होनें ईश्वर के ही इस कार्य को मानते हुए कहा था तेरा किआ मीठा लागे। इन्होनें अमृतसर गुरुद्वारा सुन्दर निर्माण एवं भारत वर्ष के अनेक शिरोमणी भक्तों की वाणी को अंकित करते हुए गुरूग्रन्थ साहिब में उचित स्थान दिया। इनको कलयुग जैसे समय में कलयुग जहाज अरजन गुरू अर्थात इस कलयुग के दौर में जीवन मुक्ति पानी है तो गुरू अरजन देव के बताये गये सिद्धान्तों में चलने की जरूरत है।जपयो जिन अरजन गुरू फिरि संकट जोनिगरब ना आयौ जिन्होनें गुरू अरजन देव का नाम लिया वह बार बार गरभ जोनि में नहीं आते हैं। आज पूरे संसार में गुरूनानक नामलेवा संगत इनके शहीदी पर्व से पहले 40 दिन लगातार श्री सुखमनी साहिब की पाठ करते हैं और शहीदी पर्व पर गुरमत समागम के रूप में शहादत को मनाते हैं।विशेष रूप से चरनजीत सिंह, कुलवन्त सिंह, श्रीचन्द्र असरनी, अवि गांधी, गुरदीप सहगल, गुरमीत सिंह, समरजीत सिंह सेवा कर रहे थे।

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