*प्राचीन चतुर्भुज श्रीराममन्दिर मांडू*
मांडू में भगवान श्रीरामजी का प्राचीन मन्दिर है ; जिसमें विराजित भगवान श्री रामजी की प्रतिमा चतुर्भुज स्वरूप में है , कहा जाता है कि पूरे विश्व में यही एकमात्र चतुर्भुज स्वरूप प्रतिमा है। मान्यता है कि विक्रम संवत 1823 में महंत श्री रघुनाथदासजी महाराज पुणे को भगवान श्रीराम ने चतुर्भुज स्वरूप में स्वप्न दिया और कहा कि मांडू स्थित पूर्व दिशा में गूलर के पेड़ के नीचे भैरव बाबा की प्रतिमा है। प्रतिमा के नीचे तलघर है। उसमें मेरी चतुर्भुज स्वरूप प्रतिमा है। महंतजी पुणे से मांडू आए व उस गूलर पेड़़ की खोजकर वे महारानी धार शकुबाई पंवार से मिले। महारानी ने खुदाई करवाई , जिसमें चतुर्भुज श्रीराम , माता जानकी , लक्ष्मणजी , हनुमानजी व सूर्य देवता के साथ ही जैन मन्दिर में स्थापित शांतिनाथ भगवान की प्रतिमाएं तलघर से मिली।
*उस दौरान तलघर में लोगों ने देखा कि वहाँ एक दीपक जल रहा था तथा ताजे फूल भगवान को अर्पित थे , जिसे देख सभी भाव-विभोर हो गए।*
इस मूर्ति के लिए महारानी ने आनंदेश्वर मन्दिर का निर्माण मूर्ति स्थापना के लिए करवाया था , लेकिन हाथी पर चंद्र पलने में मूर्ति रखकर धार लाने के प्रयास के दौरान हाथी तलघर से 20 से 25 मीटर आगे जाकर बैठ गया। इस पर रानी ने भी स्वप्न का दृष्टांत सुनकर भगवान श्रीराम की इच्छा के अनुरूप मांडू में मन्दिर बनवाकर वहीं मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवा दी।
*पूरे विश्व में एक मात्र सफेद संगमरमर पर वनवासी स्वरूप में श्रीराम की मूर्ति सिर्फ मांडू में ही है। भगवान श्रीराम की इस चार भुजा वाली मूर्ति में एक हाथ में धनुष , एक हाथ में बाण , एक हाथ में कमल पुष्प व एक हाथ में माला है। वाल्मीकि व तुलसीकृत रामायण ही लोगों के संज्ञान में है। किण्व रामायण के अलावा नौ रामायण पूर्व में भी लिखी गई हैं।*
इसकी अन्य विशेषताओं में नर नारायण स्वरूप की मूर्ति के साथ हनुमान , अंगद सेवा करते हुए तथा चरण में 7 वानर उत्कीर्ण हैं। इससे जुड़े कथानक में रावण का अमृतकुंड भगवान द्वारा सुखाए जाने पर रावण ने श्रीराम से अनुरोध किया कि मुझे आपका नर में नारायण का चतुर्भुज स्वरूप देखना है तो भगवान ने उन्हें अपना चतुर्भुज स्वरूप दिखाया।
विश्व के अनेक देशों में श्रीराम की मूर्तियाँ हैं , लेकिन भगवान श्रीराम की चतुर्भुज वनवासी स्वरूप की मूर्ति सिर्फ धार जिले के मांडू में है। आप जब भी मांडू पर्यटन के लिए जाएं तो इस अनूठी *प्राचीन चतुर्भुज भगवान श्री राम की मूर्ति* के दर्शन अवश्य करें