आज शनिवार का दिन है और शनिवार के दिन हनुमानजी एवं शनिदेव की पूजा , आराधना , अर्चना की जाती है l आज के दिन हम शनि भगवान को याद करते हुए , उनके एक अद्भुत मन्दिर , जो मध्यप्रदेश के अवन्तिका (उज्जैन) नगर में क्षिप्रा नदी के किनारे , त्रिवेणी संगम तीर्थ पर स्थित है , की जानकारी आप तक पहुॅंचा रहे हैं l इन्दौर उज्जैन मार्ग पर इन्दौर से करीब 49 कि.मी. दूर , उज्जैन से 6 कि.मी. पहले , क्षिप्रा नदी के किनारे यह मन्दिर स्थित है l
इस मन्दिर को शनि मन्दिर या नवग्रह मन्दिर के नाम से जाना जाता है l स्कंद पुराण में इसे शनिदेव के महत्वपूर्ण स्थान के रूप में मान्यता दी है l
ऐसा कहा जाता है कि आज से करीब 2000 साल पहले , राजा विक्रमादित्य ने क्षिप्रा नदी के तट के त्रिवेणी संगम पर 2 प्रतिमाएँ स्थापित की थी पहली प्रतिमा शनिदेव की एवं दूसरी प्रतिमा ढैया शनिदेव की थी जो कि इस मन्दिर में है! ऐसा भी कहा जाता है कि इस मन्दिर के बनाने के बाद ही विक्रम संवत की शुरुआत की गई थी l यह एक ऐसा अद्भुत मन्दिर है जिसमें भगवान शनिदेव , भगवान शिव के रूप में विराजित है ऐसा अनोखा मन्दिर अन्यत्र कहीं भी देखने को हमें नहीं मिलता है l यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में शनि दोष है तो इस मन्दिर में पूजन करने से शनि से जुड़े सारे दोष दूर हो जाते हैं l इसी के साथ यदि किसी व्यक्ति को साढ़े़ साती , ढैया या वक्री दृष्टि हो तो यहाँ शनिदेव के दर्शन , पूजन उसे अवश्य करना चाहिये एवं जिस व्यक्ति को साढ़े साती या ढैया शनि होते है वे शनिदेव को , शान्ति की कामना के लिए , विशेष रुप से तेल चढ़ाने का कार्य करते हैं l यहाँ आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए भगवान शनिदेव पर तेल अर्पित करते हैं l ऐसा कहा जाता है कि शनिचर अमावस्या के दिन यहाँ 5 क्विंटल तेल भगवान शनि को अर्पित किया जाता है l शनिवार के दिन श्रद्धालु शिव रूप में विराजमान शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उनको तेल अर्पित करते हैं , ऐसा कहा जाता है कि जो शनिदेव को प्रसन्न कर लेता है उसे कभी भी शनिदेव किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं देते हैं l