टनलिंग से नहीं पहुंचा था भूसाटोली क्षेत्र की इमारतों को नुकसान
बिल्डिंग कंडीशन सर्वे रिपोर्ट में दर्ज है टनल निर्माण से पूर्व की स्थिति
स्थानीय नेताओं की राजनीति से हो रहा मेट्रो का कार्य प्रभावित
कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के कॉरिडोर-1 (आईआईटी-कानपुर से नौबस्ता) के अंतर्गत कानपुर सेंट्रल – ट्रांसपोर्ट नगर भूमिगत सेक्शन का निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस सेक्शन में सबसे पहले कानपुर सेंट्रल से नयागंज के बीच लगभग 1250 मीटर लंबे स्ट्रेच पर टनल का निर्माण किया जा रहा है। मेट्रो की टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम मशीन) विशेषज्ञों की निगरानी में शहर के सबसे व्यस्ततम इलाकों के नीचे से होते हुए गुजर रही है। कानपुर मेट्रो के निर्माण कार्य की गति और रिकॉर्ड समय में निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के प्रति समर्पण को शहर के सभी वर्गों द्वारा सराहा जाता रहा है। अपनी इन उपलब्धियों के बावजूद कानपुर मेट्रो को विकास कार्यों के दौरान भी कभी-कभी बाधाओं से दो-चार होना पड़ता है। हाल ही में भूसाटोली क्षेत्र में एक ऐसी ही घटना प्रकाश में आई, जहां कुछ स्थानीय नेताओं के शह पर कानपुर मेट्रो की कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारियों के साथ अभद्रता की गई, जिससे मेट्रो का काम प्रभावित हुआ। नेताओं ने आरोप लगाया कि टनलिंग की वजह से क्षेत्र के कुछ मकानों को क्षति पहुंची है। हालांकि, जब हम तथ्यों की पड़ताल करने जमीन पर पहुंचे तो मामला कुछ और ही सामने आया।
रियल टाइम मॉनिटरिंग के दौरान, ऐसे इमारत जिन्हें क्षति पहुँचने की आशंका थी, उनमें मेट्रो द्वारा सपोर्ट लगाया गया और जिन संरचनाओं में यह संभव नहीं था, उन्हें ख़ाली करा दिया गया। मेट्रो के कार्य के लिए इन मकानों के रहवासियों को कुछ ही दिनों के लिए हटाया गया और इमारत को पूरी तरह से सुरक्षित पाए जाने के बाद रहवासियों को वापस उनके घरों में पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया आरंभ की गई।घटनास्थल पर उनकी समस्या जानने और उनसे बात करने पहुंचे मेट्रो की कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारियों के साथ अभद्रता की गई।कानपुर मेट्रो ने इससे पहले लगभग 4 किलोमीटर लंबे चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन की टनलिंग भी सफलतापूर्वक पूरी की है।