बाजार में दो साड़ों ने मचाया उत्पात , चारों तरफ मची अफरा तफरी एक युवक घायल
पहले भी हो चुकी हैं गई घटनाएं , कस्बे में लगातार बढ़ रही छुट्टा गोवंश की संख्या
बिल्हौर के सब्जी बाजार में छुट्टा गोवंश दो साड़ों ने आपस में लड़ते हुए जमकर उत्पाद मचाया। देखते ही देखते चारों तरफ अफरा तफरी मच गई। उनके उत्पाद से कई दुकानदारों का नुक़सान हुआ। वहीं लोगों मौके ने भाग कर जान बचाई।
बिल्हौर में आवारा पशुओं की लगातार बढ़ती संख्या लोगों के लिए सिरदर्द और जान को खतरा बन रही है। मुख्य मार्ग ही नहीं गली मोहल्ला और बाजारों में आवारा पशुओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। शासन से बार फरमान जारी होने के बावजूद नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं। कस्बे में बनी अस्थाई गौशाला में छोटे-छोटे आधा दर्जन जानवरों को बंद कर गौशाला के नाम पर खाना पूर्ति की जा रही है। ऐसे मेरी कोई हादसा होता है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा।
शहरों व कस्बों में आवारा पशुओं में सबसे ज्यादा खतरा साड़ों से होता है। कस्बे इस छोर से उस छोर तक सड़क , गलियों, मोहल्लों और बाजारों में दिन-रात दर्जनों साड़ों को हर जगह आसानी से घूमते हुए और उत्पात मचाते हुए आसानी से देखा जा सकता है। झुंडों में घूमते आवारा पशु किसी पर अटैक करें तो बचना मुश्किल होता है। उनके हमले से कस्बे में पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण आज बिल्हौर सब्जी बाजार और रामलीला मैदान में देखने को मिला। आपस में लड़ते हुए दो सांडों ने ऐसा उत्पाद मचाया कि दुकानदार सहित बाजार में मौजूद सभी लोग जान बचाने के लिए भागते नजर आए। साडू के टकराव से कई ठिलिया दुकानदारों का नुकसान भी हो गया। गोलगप्पे खा रहा एक युवक की चपेट में आ गया । उसकी जान तो बच गई लेकिन वह घायल गया। जिसे वीडियो में आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।बीते सप्ताह थाने गेट पर भी दो साड़ों आतंक मचाया था। लोगों ने इधर-उधर भाग कर अपनी जान बचाई थी और उनकी चपेट में आई कई भाई की पलट कर क्षतिग्रस्त हो गई थीं। कस्बे में लगातार बढ़ते पशु और उनके होने वाले उत्पात से लोगों की जान के लिए खतरा पड़ता जा रहा है। इनसे खतरा तब और अधिक पड़ जाता है जब यह आपस में लड़ते हुए इधर-उधर भागने लगते हैं और लोगों को बचाव के लिए इधर-उधर भागना पड़ता है। इसके बावजूद हालात ज्यों के त्यों बने हुए हैं। वहीं ग्रामीणों क्षेत्र में भी आवारा जानवर इस भीषण सर्दी में किसानों के लिए सर दर्द बने हुए हैं। इस हाय तौबा के बीच शासन से रोज नए फरमान जारी होते रहते हैं लेकिन प्रशासनिक कर्मचारियों ने उन शासनादेशों पर अमल करना बंद कर दिया।