फिलहाल महंगाई से नहीं मिलेगी राहत, जानें- आगे किन चीजों की बढ़ सकती है कीमत
Wed, 04 May 2022
खाद्य वस्तुओं की महंगाई से फिलहाल राहत मिलने की संभावना नहीं दिख रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने ऐसी आशंका जाहिर की। आरबीआइ ने कहा कि लगातार बढ़ती महंगाई से गरीबों की खरीदारी क्षमता प्रभावित हो रही थी, इसलिए बैंक दरों में बदलाव का फैसला करना पड़ा। आरबीआइ के मुताबिक महंगाई से लोगों की बचत, निवेश, प्रतिस्पर्धा क्षमता और उत्पादन पर विपरीत असर पड़ रहा था जिसे रोकना जरूरी था।

मौद्रिक नीति का मकसद

आरबीआइ ने कहा कि मौद्रिक नीति से जुड़ी कार्रवाई का उद्देश्य महंगाई को कम करना और अर्थव्यवस्था की विकास दर को कायम रखना है। इस साल मार्च में खुदरा महंगाई दर 6.95 प्रतिशत रही और अप्रैल में इस दर में और वृद्धि की आशंका है। मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से ही खुदरा महंगाई दर बढ़ रही है।आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंक दरों में बढ़ोतरी की घोषणा के दौरान कहा कि अभी आगे भी खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर पर दबाव जारी रहेगा। क्योंकि गेहूं, खाद्य तेल जैसी वस्तुओं के साथ पोल्ट्री, दूध,डेयरी उत्पाद, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थो के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है।

उत्‍पाद महंगे होंगे

आरबीआइ के मुताबिक गेहूं की घरेलू आपूर्ति सामान्य रहने के बावजूद वैश्विक स्तर पर गेहूं की कमी से इसके दाम पर असर पड़ रहा है। आरबीआइ का मानना है कि इंडोनेशिया द्वारा पाम तेल के निर्यात पर रोक लगाने और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सनफ्लावर तेल का उत्पादन प्रभावित होने से खाद्य तेल के दाम में आगे भी बढ़ोतरी होगी। जानवरों के चारे के दाम बढ़ने से पोल्ट्री, दूध और डेयरी उत्पाद महंगे होंगे।

पेट्रोल डीजल महंगे

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का दाम 100 डालर प्रति बैरल से अधिक है जिससे घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल महंगे हो रहे हैं और उत्पादन लागत बढ़ने से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ भी महंगे होंगे। गैर खाद्य पदार्थो की उत्पादन लागत बढ़ने से कंपनियों का मार्जिन प्रभावित होगा। आरबीआई के गवर्नर शक्ति कांत दास का कहना है कि ब्याज दरों में वृद्धि का असर उत्पादन पर भी होगा। हालांकि उत्पादन की जरूरत को पूरा करने के लिए हम पर्याप्त नकदी उपलब्धता को ध्यान में रखेंगे।

डरने की नहीं है जरूरत, भारत की बुनियाद मजबूत

आरबीआइ का मानना है कि भारत की बुनियाद मजबूत है और बाहरी सेक्टर खासकर निर्यात एवं विदेशी निवेश की स्थिति भी काफी बेहतर है, इसलिए विकास को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि अच्छे मानसून से खरीफ की फसल अच्छी होगी जिससे ग्रामीण खपत में मजबूती आएगी।उन्होंने कहा कि कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत दिख रही हैं। निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और इन सबसे घरेलू मांग बढ़ेगी।

निर्यात बढ़ाने में मिलेगी मदद

आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वस्तुओं के निर्यात के साथ सेवा निर्यात भी नई ऊंचाई पर है और कई देशों से व्यापार समझौता होने से भी निर्यात बढ़ोतरी में और मदद मिलेगी। कई वस्तुओं की कीमत बढ़ने का असर चालू वित्त वर्ष में चालू खाते के घाटे पर दिखेगा, लेकिन इससे कोई चिंता वाली बात नहीं है। विदेशी निवेश का प्रवाह पहले की तरह मजबूत बना हुआ है और देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार भी पर्याप्त है।

आगे भी जारी रह सकती है दरों में वृद्धि

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में आगे भी बैंक दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी रहेगा। एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में आरबीआइ तीन बार और ब्याज दरों में बदलाव कर सकता है। वित्त वर्ष के अंत तक रेपो रेट 5.15 प्रतिशत तक जा सकती है।

जानकारों की राय

आइसीआइसीआइ सिक्योरिटीज के मुख्य अर्थशास्त्री प्रसनजीत बसु का मानना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के मई-जून के बाद भी जारी रहने पर एक बार और दरों में बढ़ोतरी की जरूरत पड़ सकती है। युद्ध के अगले पांच-छह सप्ताह में खत्म होने से महंगाई का दबाव कम हो जाएगा

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