फर्जीवाड़ो के आरोप में लेखपाल और कानूनगो पर दर्ज हुई रिपोर्ट, सीएम पोर्टल पर की थी शिकायत
Mon, 02 May 2022
कानपुर के घाटमपुर में लेखपाल और कानूनगो को मिलीभगत करके कोर्ट में विचाराधीन जमीन पर एक पक्ष को लोन दिलाना महंगा पड़ गया। मामले में लेखपाल और कानूनगो समेत पांच लोगों पर फर्जीवाड़ा, धोखा धड़ी करने, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने की रिपोर्ट दर्ज की गई है।

चिल्ली गांव निवासी रंजना ने बताया था कि वह ससुराल में अपने पति से अलग रहती है। उनके अविवाहित दादा ससुर मौजीलाल ने अपनी जमीन की वसीयत चार जनवरी 2018 को उनके नाम की थी। 21 दिसंबर को उनके निधन के बाद उन्होंने जमीन अपने नाम कराने के लिए नौ जनवरी 2019 को तहसील दार कोर्ट में अर्जी दी थी। उन्होंने मृत्यु प्रमाण पत्र लगाया था और वसीयत के कागजात भी लगाए थे। आरोप है कि तब लेखपाल आशुतोष वर्मा और कानूनगो एकता त्रिपाठी ने जमीन उनके नाम करने के लिए 20 हजार रुपये घूस की मांग की थी। न देने पर उन्होंने दूसरे पक्ष से घूस लेकर 21 जनवरी 2019 को फर्जी वरासत उनके पति, जेठ और देवर के नाम कर दी थी। इसके बाद लेखपाल और कानूनगो ने मिलीभगत करके जमीन पर विपक्षियों को 27 मार्च, 27 जुलाई और 12 दिसंबर को दो लाख 57 हजार रुपये का लोन दिलवा दिया। 28 अक्टूबर 2021 को जमीन रंजना के नाम आ गई। इसके बाद विपक्षी लोन की राशि नहीं जमा कर रहे हैं। रंजना बहुत दिनों से कहीं समाधान दिवस तो कहीं अधिकारियों के पास न्याय के लिए भटक रही थीं।

उन्होंने जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की तो इसकी जांच शुरू हुई। ट्रेनी एसआइ प्रवास शर्मा ने लेखपाल और कानूनगो की मिलीभगत की बात लिखते हुए एसपी आउटर को अपनी आख्या भेजी थी। हालांकि, तहसीलदार सत्यप्रकाश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में लेखपाल और कानूनगो को बचाने की कोशिश की थी। उन्होंने अपने ही एक आदेश को पलटते हुए जांच रिपोर्ट लगाई थी कि महिला ने जमीन को खुद के नाम कराने की अर्जी फरवरी 2019 में डाली थी और वरासतनामा जनवरी में हुआ था। हालांकि, इस रिपोर्ट के बाद भी लेखपाल आशुतोष वर्मा और कानूनगो एकता त्रिपाठी, चिल्ली निवासी तीनों भाइयों जोगेंद्र सिंह, रामशंकर और रामकरन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है

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