अप्रैल माह अब समाप्ति की ओर है। अंतिम सप्ताह में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण लोगों को मई की गर्मी का एहसास अभी से होने लगा है। गर्मी और तापमान में प्रतिदिन हो रही बढोत्तरी से अब लोगों के चेहरे लाल होने लगे हैं। लोगों के बीच ठंडे पेय पदार्थों के साथ-साथ पानी की दरकार बढ़ गई है। लोग अपने जरूरी कामकाजों को सुबह व शाम को निपटा रहे हैं। सड़कों पर निकलने वाली महिलाएं एवं पुरूष अपने शरीर को ढके हुए देखे जा सकते हैं। गर्मी ने इस तरह से अपना असर दिखाया कि लोगों को घर से निकलना मुश्किल हो गया। कामकाजी युवतियां मुंह में दुपट्टा बांधकर पूरा मुंह ढके रही और हाथों में छतरी लेकर धूप से बचने का प्रयास करती रही। सूरज की तपन से लोग बेहाल हो उठे। हर कोई यही कह रहा है कि अपै्रल में इस तरह की गर्मी का आलम है तो मई-जून के माह में तो लोग हाय तौबा करने के लिए मजबूर होंगे। वहीं पशु-पक्षी भी प्यास बुझाने के लिए नलों के आसपास देखे जा सकते हैं। ग्रामीणालों का भी हाल बेहाल है। तालाब और पोखरें सूख गये हैं। जलस्तर धीरे-धीरे घटने से शहर में पानी की दिक्कतें भी शुरू हो गई हैं। शहर के कई इलाकों में जलस्तर स्तर इतना घट गया है कि हैंडपंपों ने पानी उगलना बंद कर दिया है लेकिन गर्मी को देखते हुए जल निगम द्वारा किसी भी तरह की अब तक कोई कार्य चालू नही किया गया। शहर के अधिकांश इंडिया मार्क हैंडपम्प बिगडे़ पडे़ हैं।

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