प्रभु राम मानवीय संवेदना और नैतिकता के हर युग के वटवृक्ष हैं…ज्योति बाबा

रामनवमी मर्यादा पुरुषोत्तम का दिन,जो भारतीय हिंदू सनातन संस्कृत का एक आधार स्तंभ है मैंने जिन राम रूप में प्रभु राम जी को देखा और समझा है वह अनुकरणीय है आज युवा जन चित दिन पर दिन नशा का लती बनकर परिवार को विखंडित कर रहा है भारत देश को विश्व गुरु की राह में बनने में बड़ी बाधा बन रहा है नशा के दुष्प्रभाव के चलते राम-राम की रट मुख से तो लगा रहा है हर युग में राम हैं हर युग में राम को कष्ट मिलता है और तय है कि आगे भी मिलेगा,राम का त्रेतायुग हो या हमारा आज का कालखंड कलयुग,राम का मार्ग कष्ट का मार्ग है संघर्ष का मार्ग है ऐसा नहीं हो सकता कि आप चारों ओर फैली नशे की फसल को मिटाने का अच्छा प्रयास करें लेकिन वह सहजता से हो जाए यानी के कुछ राष्ट्रहित में करने के लिए कष्ट उठाना ही होगा,बीज अगर टूटेगा नहीं तो अंकुरित कैसे होगा,बादल अगर टूटेगा नहीं तो बारिश कैसे होगी,मिट्टी अगर नहीं टूटेगी तो वह इतनी सारी फसलें कैसे देगी,इसीलिए टूटना जरूरी है टूटने से हम दुखी जरूर हो मगर निराश नहीं और अक्सर आज का किशोर युवा निराशा का हल नशे की अंधी गलियों या आत्महत्या में खोज रहा है।
रामनवमी हमारा एक गौरव दिवस है जीवन में ऊर्जा पूर्ण संकल्पों को धारण करने का दिवस है अपनी नशे की कुरीतियों को त्यागने का दिवस है दृढ़ इच्छा शक्ति बढ़ाने व आत्मगौरव जागृत करने का दिवस है प्रभु राम जी हमारे शलाका व युगपुरुष हैं असीम आदर का भाव रहने के कारण हम पूरी निष्ठा के साथ उनका जन्मदिन रामनवमी मनाते हैं राम विश्व शांति प्रेम कल्याण हेतु जीवंत इतिहास पुरुष हैं उन्होंने मन वचन और कर्मों से आगे जाकर एक संपूर्ण विश्व के लिए उत्कृष्ट आदर्श स्थापित किया है असल में हम किसी को क्यों याद करते हैं,हमारा मन तांबे के बर्तन की तरह है उसे रोज मांजना होता है अगर हम उसे रोज माजेगे तो चमकेगा,नहीं तो काला पड़ जाएगा किसी भी व्यक्तित्व या अच्छी बातों का स्मरण दरअसल मन को मांजना ही है हर तरफ खड़ी होती नशा युक्त की अविवेकी भीड़ ही मानव समाज को सर्वाधिक नुकसान पहुंचा रही है

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