कानपुर। विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही चुनाव आयोग ने जो अखाड़ा तैयार किया उसमें उतरने वाले पहलवान कन्फ्यूज हैं यह बात उसके समर्थकों के बीच भी चर्चा में आने लगी है। आज चर्चा कर रहे हैं हम शहर की सर्वाधिक चर्चित किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र की। इस विधानसभा क्षेत्र से दोनों प्रमुख पहलवान चुनावी बाजी जीतने के लिए अपनी गोटें बिछाने में लगे हैं। इसके लिए कोई टिकट बदलाव की स्थिति में कोई दूसरे क्षेत्र से तैयारी करने में लगा है तो कोई दूसरे क्षेत्र के साथ ही दूसरे दल में भी मजबूत ठिकाना तलाशने की कोशिश में है। हालांकि दोनों पहलवानों को कहीं से कोई भरोसा नहीं मिला है और उन्हें इसी अखाड़े से राजनैतिक कुश्ती लड़ने की बात कही जा रही है। इसके बाद भी प्रमुख पहलवानों ने अपेक्षाकृत सुरक्षित माने जा रहे क्षेत्रों में अपने लोगों की सक्रियता बढ़ा दी है।
एशिया के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र के टूटने पर वजूद में आया किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र
किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र की चर्चा पहले ही दिन इसलिए की जा रही है क्योंकि इस क्षेत्र में सत्ताधारी दल भाजपा व कांग्रेस में शुरूआत से ही कांटे की लड़ाई रही है और दोनों ही दल समय-समय पर एक दूसरे के प्र्त्य़ाशी को पटखनी देकर अपना झंड़ा बुलंद करते रहे हैं। दो चुुनाव पहले तक किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र एशिया की सबसे बड़ी विधानसभा क्षेत्र गोविन्द नगर का हिस्सा थी। पिछले चुनाव में परिसीमन के बाद गोविन्द नगर विधानसभा क्षेत्र जब तीन हिस्सों में बंटी तो इसका कुछ इलाका छावनी विधानसभा क्षेत्र में जुड़ा तो कुछ महराजपुर विधानसभा क्षेत्र में। पुराने गोविन्द नगर विधानसभा क्षेत्र में कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र के कुछ हिस्सों को जोड़कर गोविन्द नगर विधानसभा क्षेत्र को बरकरार रखा गया। बदले परिसीमन में किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र वजूद में आया तब यह माना जा रहा था कि अब किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र तत्कालीन विधायक अजय कपूर के लिए काफी आसान हो गया लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा के महेश त्रिवेदी ने अजय कपूर को हराकर किदवई नगर क्षेत्र में भाजपा का झंडा फहराया और गोविन्द नगर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के सत्यदेव पचौरी विधायक बने। श्री पचौरी के सांसद बनने के बाद भाजपा के सुरेन्द मैथानी यहां से विधायक हैं।
वर्तमान में शहर की चर्चित किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र के इलाके में शुरूआत से ही भाजपा व कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच टक्कर होती रही है जब यह क्षेत्र गोविन्द नगर विधानसभा क्षेत्र में आता था तब गोविन्द नगर में शुरूआती विधानसभा चुनावों में 90 के दशक के पहले तक अधिकांश बार कांग्रेस के उम्मीदवार ही चुनाव जीतते रहे। यहां के कांग्रेस विधायक विलायती राम कत्याल की हत्या आतंकियों द्वारा की गई इसके बाद भाजपा के कद्दावर नेता बालचंद्र मिश्रा ने इस विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज कर यहां से भाजपा का परचम फहराया। श्री मिश्र कई बार यहां से भाजपा के विधायक रहे और प्रदेश सरकार में मंत्री भी। बाद में कांग्रेस के अजय कपूर ने एक बार फिर इस क्षेत्र में कांग्रेस का झंडा फहराया। पिछले चुनाव में परिसीमन बदला और गोविन्द नगर विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर कांग्रेस विधायक अजय कपूर इसी के इलाके को जोड़कर बनी किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र से उतरे लेकिन इस बार भाजपा के महेश त्रिवेदी ने उन्हें पराजित कर एक बार फिर दक्षिण की इस प्रमुख विधानसभा सीट पर भाजपा का परचम फहरा दिया।
राजनैतिक गलियारे में हो रही चर्चाओं और प्रमुख लड़ाकों के करीबी लोगों की मानी जाए तो इस बार प्रमुख पहलवान किसी भी हालत में जीत दर्ज करने के लिए प्रयासरत हैं और इसके लिए वह सुरक्षित ठिकाने में पहुंचने के लिए दूसरे क्षेत्र के साथ ही दूसरे दल में भी हाथ-पैर मार रहे हैं। इस क्षेत्र में पहलवानों के कन्फ्यूज होने की चर्चा तब शुरू हुई जब अंदरखाने सर्वे के आधार पर भाजपा के गलियारे में यह चर्चा शुरू हुई कि दूसरे इलाके को छोड़कर यहां आए दमदार पहलवान को इस बार अखाड़े में उतरने से रोका जा सकता है। यह चर्चा शुरू होते ही पहलवान ने इस क्षेत्र में अपनी तैयारियों के साथ ही शहर के ही दूसरे इलाके के भी एक अखाड़े पर अपनी नजरें गड़ा दीं जहां पिछली बार के विधानसभा चुनाव में भी उनका साथी पहलवान एक पुराने पहलवान से हार गया था। कड़े संघर्ष में हुई इस पराजय के बाद वह पहलवान तो अपने प्रयास कर ही रहा था लेकिन किदवई नगर के इस पहलवान ने पड़ोसी जनपद में अपने प्रभाव व कानपुर नगर के एक प्रभावशाली से अपने रिश्ते का हवाला देकर शहर के बीचोंबीच स्थित इस अखाड़े में ताल ठोंक दी। यह दावा भी किया कि जो वोट पिछले चुनाव में पार्टी के पहलवान को कम मिला था उतना तो वह देहात के अपने प्रभाव और अपने रिश्तेदार भईया की हनक से ही हासिल कर लेंगे। इस पहलवान ने इस बात के भी प्रयास तेज किए हैं कि वह अपने पुराने जनपद के अखाड़े से ही ताल ठोंके पार्टी हाईकमान को यह भरोसा भी दिया है कि पुराने अखाड़े से वह आसानी से जीत दर्ज कर सकता हैं।
इस क्षेत्र के दूसरे कद्दावर पहलवान ने सुरक्षित अखाड़े के लिए कानपुर से दिल्ली तक हाथ-पैर मारे। वैसे तो यह पहलवान इस बार पुराने पहलवान से टक्कर होने पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे थे लेकिन पहलवान का अखाड़ा बदले जाने की चर्चा के बाद यह भी कन्फ्यूज हो गए और सुरक्षित अखाड़े के लिए दूसरे अखाड़े के साथ ही दूसरे दल में भी जोर आजमाईश शुरू करने लगे। इस पहलवान के खास लोगों की मानी जाए तो शहर के एक प्रमुख शराब व्यापारी के संपर्कों के सहारे इस पहलवान ने दूसरे दल में मजबूत दस्तक भी दे दी। मामला मुखिया तक पहुंचा। मुखिया ने भी पहलवान को भरोसा दिया वह उनके साथ जुड़ें तो उन्हें खुशी भी होगी और दंगल में मजा भी आएगा लेकिन अखाड़े में उतरने के लिए महात्मा से मिलना भी जरूरी है। अब महात्मा का नाम आते ही कानपुर से दिल्ली तक की दौड़ पर पानी फिर गया। अब इस पहलवान ने किदवई नगर के साथ ही उस अखाड़े वाले क्षेत्र में भी सक्रियता बढ़ा दी है जो पहले कभी उसके ही क्षेत्र में हुआ करता था। अब किस पहलवान का अखाड़ा बदलता है या किसका दल यह टिकट घोषित होने के बाद भी सामने आएगा।