यूपी के अगले डीजीपी की तलाश तेज

लखनऊ. …
यूपी के वर्तमान डीजीपी एचसी अवस्थी 30 जून को रिटायर हो रहे हैं. लिहाज़ा नए डीजीपी को चुनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
सीनियरिटी लिस्ट में सबसे ऊपर नासिर कमाल हैं, जो फिलहाल केंद्र में तैनात हैं, जिनके यूपी लौटने की उम्मीद कम ही है. दूसरे नंबर पर मुकुल गोयल हैं, यह भी केंद्र में तैनात हैं. मुकुल गोयल यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं और अखिलेश यादव की सरकार में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर भी रह चुके हैं. यही इनके लिए फायदेमंद है और नुकसानदेह भी.
तीसरे नंबर पर यूपी के डीजी ईओडब्ल्यू  और एसआईटी डॉक्टर आरपी सिंह हैं.
बीते दो साल से डॉक्टर आरपी सिंह के पास ईओडब्ल्यू और एसआईटी का चार्ज है. पावर कारपोरेशन का पीएफ घोटाला, जल निगम भर्ती घोटाला, बाइक बोट घोटाले जैसे बड़े मामलों की जांच डॉक्टर आरपी सिंह के विभाग के पास ही है. आरपी सिंह प्रदेश में मौजूद सबसे सीनियर आईपीएस अफसर हैैं. इसके बाद सीनियरिटी लिस्ट में चौथा नंबर विश्वजीत महापात्रा का है, जो कुछ समय पहले तक डीजी सीबीसीआईडी थे, लेकिन उन्हें हटाकर फिलहाल वेटिंग में डाला गया है.
गोपाल लाल मीणा और आरके विश्वकर्मा भी दावेदार हैं.
पांचवे नंबर पर डीजी राज्य मानवाधिकार आयोग गोपाल लाल मीणा हैं.  गोपाल लाल मीणा के डीजी होमगार्ड रहते हुए वहां पर एक फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था, जिसके बाद सरकार उनसे नाराज हुई थी और उन्हें पद से हटाया गया था.
छठे नंबर पर डीजी भर्ती बोर्ड और फायर सर्विस आरके विश्वकर्मा हैैं. आरके विश्वकर्मा को टेक्नोक्रेट माना जाता है और यूपी पुलिस में  तेजी से हो रही  भर्तियों के चलते वह सुर्खियों में रहते हैं. पिछड़े वर्ग से आने वाले विश्वकर्मा जातीय  समीकरण के चलते भी चर्चा में हैं.
सातवें नंबर पर डॉ देवेंद्र सिंह चौहान का नाम है. डॉ चौहान को राज्य सरकार ने ही पिछले साल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया था जिस वजह से उन्हें सरकार का करीबी माना जाता है. इस समय डॉक्टर चौहान यूूपी के डीजी इंटेलिजेंस हैंं.
आठवें नंबर पर अनिल अग्रवाल का नाम है जो फिलहाल केंद्र में तैनात हैं.
अखिलेश यादव की सरकार में यूपी 100 को स्थापित करने में अनिल अग्रवाल की अहम भूमिका थी.
नवें नंबर पर डीजी जेल और सिविल डिफेंस आनंद कुमार का नाम आता है.  आनंद कुमार योगी सरकार में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर रह चुके हैं और प्रदेश सरकार की अघोषित एनकाउंटर पॉलिसी के झंडा बरदार भी कहे जाते हैं.
30 साल की नौकरी और डीजी का ओहदा पा चुके 1990 बैच के बैठक के आईपीएस अधिकारियों की लिस्ट केंद्र सरकार को भेज दी गई है.  केंद्र सरकार इस लिस्ट को यूपीएससी को भेजता हैै. यूपीएससी के साथ यूपी के मुख्य सचिव की बैठक होती है, जिसमें राज्य सरकार की पसंद और नापसंद के अधिकारियों के बारे में भी चर्चा होती है और फिर चुना जाता है डीजीपी.

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