कानपुर
खत्री धर्मशाला बिरहाना रोड में हुआ शस्त्र पूजन, विधान सभा अध्यक्ष ने विधि विधान से कराया संपन्न
किसी भी शहर को उसकी पहचान दिलाने में अलग-अलग समाज के लोगों का योगदान होता है । ये लोग किसी न किसी रूप में शहर और वहां की सभ्यता के साथ घुल मिल कर उसको आगे बढ़ाने का काम करते हैं । कानपुर को भी पहचान दिलाने के में कई समाजों का योगदान रहा है, इनमें से खत्री समाज भी एक है । शहर को व्यापारिक पहचान दिलाने का श्रेय मुख्य रूप से इसी समाज के लोगों को जाता है । कानपुर में सबसे पहले साइकिल, ईंट, फोम, ज्वैलरी का कारोबार इसी समाज ने शुरू किया था ।
आज इसी खत्री समाज के लोगों ने विजयदशमी के अवसर पर बिरहाना रोड स्थित धर्मशाला में शस्त्र पूजन कर यह संदेश दिया की अच्छाई पर बुराई की जीत का यह पर्व सभी को मनाना चाहिए जब तक शास्त्र से बात बने तब तक शस्त्र नही उठाना चाहिए और यदि शस्त्र उठाना पड़े तो सदैव धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए ही शस्त्र उठाना चाहिए । मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने पूरे विधि विधान और परंपरागत तरीके के साथ पूजन का कार्यक्रम की शुरुआत करी ।
उन्होंने बताया की सभी देवी देवता एक हांथ आशीर्वाद के लिए उठाते है तो दूसरे हांथ में शस्त्र भी धारण करते है ।
करीब 78 साल पहले 1946 में पश्चिमी पंजाब जो की वर्तमान में पाकिस्तान है, से रोशनलाल महाना शहर आए थे । उन्होंने लाल बंगला में किराने का काम शुरू किया, साथ ही अपने मित्र डिफेंस इंचार्ज हरजिंदर सिंह की मदद से समाज के लोगों को लाल बंगला इलाके में बसाना शुरू कर दिया । महाना ने इसके बाद ईंट भट्ठा कारोबार शुरू किया । कुछ सालों बाद इसी समाज के देशराज मलिक ने साइकिल की सीट का काम शुरू किया तो जीवनराम सेठ ने ज्वैलरी का काम शुरू किया और साथ ही जीवनराम एंड संस नाम से फोम और रबर का भी काम डाला । इसके बाद 1960 में मलिक देशराज कपूर और कृष्ण कुमार कपूर ने दादानगर कोआपरेटिव इस्टेट की स्थापना की।खत्री समाज से कानपुर में
शिव नारायण टंडन, तीन बार सांसद रहे, पशुपति नाथ मेहरोत्रा, तीन बार विधायक रहे, सतीश महाना सात बार से विधायक हैं इस समय वर्तमान में वह विधान सभा अध्यक्ष के पद पर आसीन है, अजय कपूर, तीन बार विधायक रहे, रामनाथ महेंद्र, विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष रह चुके है ।