काजुलूस ए रहमतुल लिल आलामीन(जुलूस ए मोहम्मदी मुख्तलिफ रास्तों से गुजर कर जशने खैरुल वरा मानते हैं।

 

 

 

कानपुर, जमा मस्जिद गौसिया शारदा नगर में एक बैठक काजी शहर मौलाना मुश्ताक अहमद मुशाहिदी की सदारत में हुई जिसमें जुलूस ए रहमतुल लिल आलामीन(जुलूस ए मोहम्मदी) जो शारदा नगर रावतपुर की मुख्तलिफ रास्तों से गुजर कर जशने खैरुल वरा मानते हैं।

बानी ए जुलूस हजरत मौलाना मुश्ताक अहमद मुशाहिदी ने बताया कि यह जुलूस 1984 मैं शारदा नगर से निकलना शुरू हुआ जिसका परमिशन 1987 मैं हासिल हुआ तब से यह जुलूस अपनी शान शौकत के साथ निकलता आ रहा है यह जुलूस अपने आका हजरत मोहम्मद मुस्तफाﷺ की मोहब्बत व अकीदत मैं आशिकाने रसूल का होता है।लिहाजा हमारा फर्ज है के हम अपने हर अमल से वह पैगाम दें जिससे यह मालूम हो के यह वह तालीम है इनके नबीﷺ की जिसकी सबब यह दीन अरब की सर जमीन से दुनिया के हर-हर कोने तक पहुंचा और इंसाफ की प्यासी इस दुनिया में रंग नसल की बरतरी का खत्मा कर इंसाफ व अमन और मसावात का कायम अमल में आया।

मगर अफसोस आज हमारे बद आमलियों और आपसी चाकीयों और हमारा जो हाल है वह किसी से पोशीदा नहीं है हम खुद इंसाफ के लिए आज मोहताज नजर आ रहे हैं आज हम जुलूस में आगे पीछे को लेकर आपस में दस्त गिरेबां हो रहे हैं हम लंगर को एहराम से खिलाने के बजाय फेक कर लंगरे नबी और रिज्क की बेहुरमती करते हैं।

मीटिंग में खास तौर पर हाजी मोहम्मद सलीस महामंत्री सुन्नी उलमा काउंसिल

मौलाना सैफुल हशमत नफीस ठेकेदार हाफिज मूबीन मुशाहिदी हाफिज अबरार अजहरी हाफिज मकबूल निजामी मौलाना शमशेर बरकाती नूरी मलिक नूर हसन शाहरुख सोलंकी मोहम्मद यूसुफ आकिब मुंशी वगैरा बड़ी तादाद में मौजूद रहे

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