श्री कृष्ण का नामकरण संस्कार
भगवान श्रीकृष्ण का नामकरण संस्कार यदुवंशियों के कुल गुरु महर्षि गर्ग जी ने किया था जो कि उच्च कोटि के ज्योतिषाचार्य और विद्वान थे।
श्रीकृष्ण देवकी और वसुदेव जी की आठवीं संतान थे जिन्हें पैदा होते ही वसुदेव जी भगवान के आदेश पर नंद और यशोदा की बिटिया योग माया से बदल लाएं थे। योग माया ने कंस को बता दिया कि तुम्हें मारने वाला गोकुल में पैदा हो चुका है।
श्री कृष्ण को मारने के लिए कंस ने पूतना , शकटासुर और तृणावर्त जैसे राक्षस भेजे थे। इसलिए श्री कृष्ण का नामकरण संस्कार बहुत गुप्त रूप से किया गया था।
वसुदेव जी ने महर्षि गर्ग से अनुरोध किया कि आप गोकुल जाकर दोनों बच्चों का नामकरण संस्कार कर दे। वसुदेव जी कहने लगे कि नंद जी जब यहां आये थे तो आपको बुलावा भेजा था। वसुदेव जी से सुनकर महर्षि गर्ग गोकुल पहुंचे।
नंद और यशोदा जी ने उन्हें उच्च आसन पर बैठाकर उनकी वन्दना की। नंद जी कहने लगे कि गुरुजी आप दोनों बच्चों का नामकरण संस्कार कर दे।
महर्षि गर्ग कहने लगे कि कंस जानता है कि मैं यदुवंशियों का पुरोहित हूं। अगर उसे पता चला कि मैंने तुम्हारे बालकों का नामकरण संस्कार किया है तो आपके बालकों को भी देवकी और वसुदेव का पुत्र समझेगा। तुम्हारी और वसुदेव की घनिष्ठ मित्रता है इसलिए तुम चुपके से बच्चों का नामकरण संस्कार करवा लो।
नंद बाबा कहने लगे कि गुरु देव मैं आपकी आशंका समझ गया इसलिए आप ऐसा करें कि हमारी गोशाला में दोनों बालकों का नामकरण संस्कार कर दें, ताकि किसी को भी नामकरण संस्कार के बारे में पता ना चल सके।
बलराम जी का नामकरण संस्कार…
महर्षि गर्ग ने पहले रोहिणी के पुत्र का नामकरण संस्कार किया। गर्ग जी कहने लगे कि रोहिणी का पुत्र होने के कारण इसका एक नाम रोहिणेय होगा।यह बालक बहुत ही बल वाला होगा और सबको आंनद देने वाला होगा इसलिए इसे बलराम कहा जाएगा। देवकी के गर्भ से रोहिणी के गर्भ में संरक्षित करने के कारण इसे संकर्षण भी कहा जाएगा।
श्री कृष्ण का नामकरण संस्कार…
गर्ग जी श्री कृष्ण का नामकरण संस्कार करते हुए कहने लगे कि यह बालक प्रत्येक युग में शरीर धारण करता है और हर युग में अपना रंग बदलता रहता है। सतयुग में श्वेत वर्ण का, त्रेता युग में रक्त वर्ण और द्वापर में तुम्हारे बालक ने कृष्ण वर्ण धारण किया है इसलिए तुम्हारे बालक का नाम “कृष्ण” होगा जो सबको अपनी ओर आकर्षित करेगा…🙏🙏