जाना हजरत बरेलवी एक सच्चे आशिक-ए-रसूल थे, आपके फतावा इसके नबवी की रौशनी में होते।
गरिजद बशीर स्टेट हीरामन पुरवा में आयोजित बज्मे रजा के जलसा में उल्मा का बयान
कानपुर 30 अगस्त- मौलामा अहमद रजा खां कादरी बरेलवी एक शिक्षित और सूफी-कज्न परिवार में सन् 1856 ई० में बरेली शहर में पैदा हुए। आप अपने लेखनी कारनामी और पैगम्बर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहे व सल्लम से सच्चे ईश्क की बुनियाद पर जमाने भर में आला हजरत बरेलवी के नाम से प्रसिद्ध हुए। उक्त विचार मुफ्ती मोहम्मद इलयास खां नूरी खलीपव सरकार ताजुश्शरिया मुफ्ती-ए-आज़म कानपुर ने मस्जिद बगैर स्टेट हीरामन पुरया में 35 वां सालाना बज्मे रक्षा के आयोजित जलसा में व्यक्त किया। मुफ्ती साहब ने बताया कि आला हजरत बरेलवी से प्रश्न पूछने वाओं का एक जन सैलाब है उनमें से एक चौथाई ऐसे लोग हैं जो अपने वक्त के बड़े वैज्ञानिक, वकील, धर्म गुरु और मुफ्ती थे। मुख्य अतिथि मुफ्ती मोहम्मद हनीफ बरकाती ने आला हजरत बरेलवी के बारे में बताया कि आप हमेशा इतिफाक व इतिहाद और लोगों की इस्लाह के लिए प्रयासरत रहे। आप की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि आप किसी सवाल पूछने वाले के व्यक्तित्व से कभी प्रभावित नहीं होते और उनकी प्रश्नों का जवाब कुरआन, हदीस और इश्क-ए-जबवी सल्लललाहु अलैहे व सल्लम की रौशनी में देते। आप इश्क़-ए- नबवी सल्लललाहु अलैहे व सल्लम की बुनियाद पर एकता के प्रचारक थे। आप मिल्लत में फूट को राख्त नापसंद जानते थे जीवन भर आपने इश्क-ए-नववी सल्लललाहु अली व सल्लम के प्लेटफार्म से मिल्लत को एकजुट रहने का पैगाम दिया।जलता के संयोजक मौलाना मोहम्मद महताब आलम कादरी मिस्बाही ने आला हजरत बरेलवी की जीवनी का बखान करते हुए कहा कि आप हजारों किताबो से ज्यादा के लेखक, 100 से अधिक उलूम व फुनून (शिक्षा विधि) के माहिर और अन गिनत फन्नों(विधियों) के जननी में इसके बावजूद इतिहासकारों ने आला हजरत बरेलवी के साथ पूर्ण इन्साफ नहीं किया। आप पर सख्त मेजाज होने का प्रोपोगन्डा चलाकर अवाम को गुमराह करने की कोशिश की गई। बेशक आला हजरत बरेलवी अपने पैगम्बर मुहम्मद सल्लललाहु अलैहे वसल्लम से सच्चा इश्क़ रखते थे। इसके खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त न करते चाहे आप का सगा क्यों न हो? वेशक आपका यही इश्क-ए- नबवी संललललाहु अलैहे व सल्लम का सख्त तेवर जमाने में आप की पहचान बन गया। मौलाना मुर्तजा शरीफी ने कहा कि आला हजरत बरेलवी ने समाज में फैली बुराइयों और बिदजलों की मिटाने और उसकी इस्लाह करने की भरपूर कोशिशें की। इस से पूर्व जलसा की शुरुआत कुरआन मजीद की तिलावत से कारी अब्दुल हफीज बरकाती ने किया। नबी सल्लललाहु अलैहे व सल्लम की शान में कारी इकबाल बेग कादरी, यूसुफ रजा कानपुरी और अग्रलाकुर्रहमान ने नात शरीफ का नजराना पेश किया। जलसा की अध्यक्षता मुफ्ती मोहम्मद इलयास खां नूरी मुफ्ती-ए-आजम कानपुर ने और इसका संचालन शब्बीर अशरफी कानपुरी से अंजाम दिया। जलने का समापन सलातो सलाम और मुल्क व मिल्लत के लिए अमन व सलामती की दुआ और तबर्रुक की सकसीम पर हुआ।इस आशर पर मुख्य रूप से मौलाना गुलराम हसन कादरी कारी तय्यब रिज़्वी, मुतीउर्रहमान, नजीर खां, हशमत नूरी आदि उपस्थित रहे।