यह मंदिर अपनी पौराणिकता और आस्था के लिए विश्व भर में मशहूर है। कोर्णाक मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किए गए सूर्य भगवान के साक्षात दर्शन करने का सौभाग्य कम ही लोग को मिल पाता है। भारत के इस ऐतिहासिक मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है। कहते हैं कि इस मंदिर में 52टन का विशालकाय चुंबक लगा हुआ था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य मंदिर के शिखर पर 52 टन का चुंबकीय पत्थर लगा हुआ था। यह पत्थर समुद्र की कठिनाइओं को कम करता था। जिसकी बदौलत मंदिर समुद्र के किनारे सैकड़ों दशकों से खड़ा हुआ है। एक समय ऐसा भी था जब मंदिर का मुख्य चुंबक, अन्य चुंबकों के साथ इस तरह की व्यवस्था से सजाया हुआ था। कि मंदिर की मूर्ति हवा में तैरती हुई नजर आती थी।लेकिन मंदिर की ये ताकतवर चुंबकीय व्यवस्था आधुनिक काल की शुरुआत में समस्या बनने लगी। चुंबकीय शक्ति इतनी तेज थी कि पानी के जहाज मंदिर की तरफ खींचे चले आते थे। अंग्रेजों के काल में जब उन्हें नुकसान होने लगा तो उन्होंने मंदिर के अंदर लगे इस चुंबक को निकाल दिया। लेकिन इससे जो हुआ, उसका किसी को अनुमान नहीं था।

इस मंदिर की कल्पना सूर्य के रथ के रूप में की गई है। रथ में 12 जोड़े पहिये लगे हुए हैं। जिनकी विशाल रचना आपको रोमांचित कर देगी। रथ के आगे 7 शक्तिशाली घोड़े तेजी से खींचते हुए नजर आते हैं। 12 जोड़ी पहिए दिन के 24 घंटों को दर्शाते हैं। वहीं साल के 12 महिनों के सूचक भी माने जाते हैं। पहियों में लगी 8 तीलियां दिन के 8 प्रहरों के बारे में बताती हैं।

(कोणार्क_का_सूर्य_मंदिर) उड़ीसा

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