सावन मास में सोमवार शिव व्रत में आयुर्वेद टिप्स और आहार अपनाकर अपने को स्वस्थ बनाए।यह बात आज राजेश शुक्ला जड़ी बूटियों के विशेषज्ञ ने बताया मौसम से आजकल लोग गले का दर्द एवं संक्रमण से परेशान कभी जुकाम नजला खुजली होती है सुबह ले नीम की गोली 250 mg और हल्दी की गोली 250 mg दोनो को एक साथ ले परामर्श से ।सोमवार व्रत मे कभी गैस,अपच कब्ज हो जाती है तो कुटकी, चिरायता का प्रयोग सही मात्रा मे। चिकित्सक के परामर्श से ले या आरोग्यम कैपसूल ले सकते है।राजेश शुक्ला ने बतायाजीरे का करें सेवन
जीरे को व्रत के खाने का हिस्सा बनाया जा सकता है।
यह शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-सेप्टिक और एंटी-हाइपरटेंसिव एजेंट के साथ-साथ ओलियोरेसिन, टैनिन, सेस्क्यूटरपीन जैसे तत्वों से भरपूर होता है।
ये गुण बढ़ते वजन, हृदय रोग, मधुमेह और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम कम करने में मदद कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव के कारण जीरा इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) के रोगियों के लिए लाभदायक है।पुदीने को करें शामिल
व्रत के अनुकूल ड्रिंक्स में पुदीने का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन-A, C, D और E जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर पुदीना इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
यह कोशिकाओं को नुकसान से बचाकर पुरानी बीमारियों के विकास के जोखिम को भी कम करता है।
इसके अतिरिक्त एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर पुदीना अपच और पेट दर्द से भी राहत दिला सकता है।चाय में डालें हरी इलायची
अगर आप व्रत में चाय बनाते हैं तो उसमें 1-2 हरी इलायची डालने से न सिर्फ उसका स्वाद बढ़ेगा, बल्कि कई फायदे भी मिलेगें।
एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि इलायची की चाय पाचन एंजाइम को उत्तेजित करके पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद कर सकती है।
इसके अलावा इलायची की चाय में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट धमनियों के सेल्स से कोलेस्ट्रॉल को हटाकर हृदय को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।काली मिर्च से बनेगा जायकेदार खाना
काली मिर्च भी व्रत के अनुकूल मसाला है और इसके इस्तेमाल से भी कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।
काली मिर्च एक बेहतरीन एंटीबायोटिक है। जिन लोगों को अक्सर खांसी, सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं ज्यादा होती रहती हैं, उनके लिए काली मिर्च बहुत फायदेमंद होती है।
इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं, जो शरीर में से मुक्त कणों को खत्म करने में मदद करते हैं। यह अर्थराइटिस के जोखिम कम करने में भी कारगर है।।