मदरसा अरबिया रज़ाकिया मदीनतुल उलूम बांसमंडी में मनाया गया यौमे उस्मान गनी।
कानपुर 25 जून मदरसा अरबिया रजाकिया मदीनतुल उलूम बांसमंडी में यौमे उस्मान गनी मनाया गया। मौलाना मुफ्ती मुहम्मद हनीफ बरकाती ने अमीरुल मोमिनीन हजरत सैयदना उस्मान गनी रज़ियल्लाहु अन्हु की जिंदगी पर रोशनी डालते हुए कहा कि जब भी उदारता का जिक्र होता है तो मोमिन का ध्यान पैगम्बर के दामाद पर जाता है। अल्लाह तआला ने आपको बहुत सारी सांसारिक संपत्ति से नवाजा और आपने अपने धन को खर्च करने से कभी परहेज नहीं किया। इस संबंध में आपकी उदारता एक उदाहरण है. जब भी इस्लाम या इस्लाम के लोगों को पैसे की जरूरत होती थी, सैय्यदना उसमान हमेशा वहाँ खड़े होते थे। जब मुसलमान हिजरत करके मदीना शरीफ पहुंचे तो वहां पीने के साफ पानी की बड़ी किल्लत थी ताजे पानी का केवल एक कुआँ था जिसे बर्रुमाह कहा जाता था। इस कुएं का मालिक एक यहूदी था जो मुसलमानों को बहुत ऊंचे दामों पर पानी बेचता था। मुसलमानों ने पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को अपनी चिंता से अवगत कराया। पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा, “कौन इस कुएं को खरीद सकता है और इसे मुसलमानों को समर्पित कर सकता है?” ऐसा करने पर अल्लाह तआला उसे जन्नत में एक चश्मा अता करेगा। हज़रत उस्मान ने जवाब दिया और यहूदी के पास गए। चूँकि यहूदी इस कुएँ का पानी बेचकर अच्छी कमाई कर रहा था, इसलिए उसने अपना कुआँ बेचने से इनकार कर दिया। हज़रत उस्मान ने एक योजना बनाई और यहूदी से कहा, मुझे पूरा कुआँ नहीं तो आधा कुआँ बेच दो और यदि तुम आधा कुआँ बेचोगे तो एक दिन कुएँ का पानी तुम्हारा होगा और दूसरे दिन कुएं का पानी मेरा होगा। यहूदी को प्रलोभन दिया उसने सोचा कि हज़रत उस्मान उस दिन अपना हिस्सा बेच देंगे, इस प्रकार अधिक पैसा कमाएंगे और वह खुद पानी को अधिक पैसे में बेचेगा जिससे उसे अधिक लाभ कमाने का मौका मिलेगा। आपने अपना पूरा जीवन सही रास्ते पर चलकर बिताया अल्लाह ने आपको इतना नवाजा कि आपने अपना सब कुछ अल्लाह की राह में लोगों की सेवा में दे दिया और कहा,या अल्लाह मैं साज-सामान सहित एक सौ ऊँट देता हूँ। फिर कहा मैं साज-सामान सहित दो सौ ऊँट देता हूँ।और फिर तीसरी बार कहा या अल्लाह के रसूल! मैं साज-सामान सहित तीन सौ ऊँट देता हूँ। फिर, इन तीन सौ ऊंटों के अलावा, हज़रत उस्मान गनी ने पैगंबर इस्लाम को 1,000 दीनार भी भेंट किए। आज के युग में हमें और देश के लोगों को सीख लेनी चाहिए और लोगों की मदद करनी चाहिए। मुफ़्ती हनीफ़ बरकाती ने हज़रत उस्मान गनी के जीवन के बारे में विस्तार से बताया कि कैसे हज़रत उस्मान गनी सही रास्ते पर चले हाफ़िज़ मुहम्मद तुफ़ैल ने कुरान शरीफ की तिलावत की। जलसे का संचालन शब्बीर कानपुरी ने किया हाफिज मुहम्मद तुफैल मौलाना रजा-उल-हक हाफिज मुहम्मद फैजुल ने नात शरीफ पेश की।इस अवसर पर मदरसा अधीक्षक हाफिज अब्दुल रहीम साहब बहराइची मौलाना फिरोज़ अहमद हाफ़िज़ मोहम्मद ख़ुर्शीद अब्दुल कलाम अब्दुल हफीज़ नजीर बराकती मोहम्मद कैफ हाफ़िज़ हसनैन हाफ़िज़ महमूद आलम हाजी मुहम्मद ताहिर व अन्य शामिल थे।