पूजा पाठ में केले के पत्तों का महत्व
केले के पत्ते को प्राचीन समय से ही पूज्य और पवित्र माना गया है. केले के फल, तने और पत्तों को हमारे पूजा विधान में अनेक तरह उपयोग किया जाता है.
इसे शुभ और पवित्रता का प्रतीक माना गया है. यह भी मान्यता है कि केले के वृक्ष में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है.
अगर लोग बृहस्पतिवार को केले के पेड़ की पूजा करते हैं तो उनका बृहस्पत ग्रह मजबूत होता है।
शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन केले की पूजा और व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और कन्याओं को मनवांछित फल मिलता है। हर पूजा में पूजन समाग्री के रूप में ‘केला जरूर रखा जाता है एक मान्यता अनुसार केला सत्यनारायण भगवान का प्रसाद होता है
बृहस्पतिवार के व्रत में भगवान विष्णु को केले के फल का भोग लगाया जाता है और इस दिन केले के पेड़ कि पूजा की जाती है. व्रत में केले की पूजा की जाती है इसलिए इस दिन केला नहीं खाया जाता है. पुरी में भगवान जगन्नाथ एवं भगवान श्रीकृष्ण को केले के फूल से बनी शाक का भोग लगाया जाता है.
चैतन्य महाप्रभु को भी यह भोग अत्यंत प्रिय था. केले की पवित्रता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पुराने समय में इसके तने से निकाले गए पानी से ही उपवास के लिए पापड़ आदि पदार्थ बनाए जाते थे।