*जब मंदिर आंदोलन में गिरफ्तार बीजेपी विधायक ने कर दी थी अधिकारी की पिटाई..*

 

*प्रशासन की मीटिंग में शामिल हुए और पुलिस को चकमा देकर निकल गए थे बालचंद्र*

 

*एसएसपी से बोले,”आप ही के पास हूं लेकिन पकड़ नहीं पाओगे*

 

*गिरफ्तारी को कम पड़ गईं थीं बसें*

 

 

सैंकड़ों सालों के संघर्ष के बाद अब श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का सुखद अवसर है।दुनिया भर के श्री राम भक्तों में हर्ष और उल्लास है। कानपुर श्री राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। मंदिर आंदोलन के तमाम किस्से और स्मृतियां यहां के जनप्रतिनिधियों और आम जन से भी जुड़ी हैं। इन्हीं में से एक संघर्ष गाथा पूर्व मंत्री बाल चंद्र मिश्र की भी है।

कानपुर से बीजेपी की झोली में पहली विधानसभा जीत डालने वाले बाल चंद्र मिश्रा अब पार्टी के वयोवृद्ध नेताओं में शामिल हैं।लेकिन श्री राम मंदिर आंदोलन की स्मृतियां उनके जहन में अब भी ताजी हैं। कांग्रेस की लहर में 1989 में बीजेपी से गोविंदनगर विधानसभा उपचुनाव जीतकर विधायक बने बाल चंद्र मिश्र मूल रूप से पूर्वांचल के देवरिया से आते हैं। लाल कृष्ण आडवाणी ने मंदिर आंदोलन को लेकर यात्रा निकाली तो उन्हें संगठन ने देवरिया जाकर कमान संभालने के निर्देश दिए। आलम यह था कि पार्टी नेता भूमिगत थे। ढूंढ ढूंढ कर बीजेपी नेताओं को पकड़ा जा रहा था। ऐसे में बाल चंद्र बीजेपी संगठन मंत्री के साथ लखनऊ से ट्रेन के जरिए देवरिया रवाना हुए।दोनों स्टेशन पर गिरफ्तारी से बचने के लिए अलग अलग उतरे।वहां से बाल चंद्र मिश्र ने यूपी और बिहार के बॉर्डर पर अपना ठिकाना बनाया और तय किया कि आडवाणी की यात्रा का स्वागत करेंगे। प्लान भी तैयार कर लिया लेकिन आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके बाद बाल चंद्र सिवान से लखनऊ वापस आ गए। लखनऊ से वह कानपुर में जाजमऊ स्थित अपने एक परिचित के घर में रुके।इस बीच स्थानीय पुलिस उन्हें तलाश कर रही थी। ऐसे में तत्कालीन एसएसपी को बाल चंद्र मिश्र ने खुद ही फोन किया और जब उन्होंने पूछा कि पंडित जी आप कहां हैं तो बाल चंद्र मिश्र ने जवाब दिया कि आप ही के पास हैं लेकिन आप मुझे पकड़ नहीं पाएंगे। इसके बाद जेल भरो आंदोलन के लिए नटराज सिनेमा के पास बाल चंद्र मिश्र ने हजारों श्रद्धालुओं के साथ सभा की।उनकी पत्नी शोभा रानी मिश्रा और भाभी प्रेमदा रानी मिश्रा भी इसमें शामिल थीं। यहां से विशाल जुलूस चावला चौराहे की ओर बढ़ा। वहां पर पुलिस से बाल चंद्र की तीखी झड़प हुई और पुलिस की उन्हें रोकने की नाकाम कोशिश हुई। जिसके बाद बाल चंद्र की अगुवाई में हजारों लोग किदवई नगर चौराहे पहुंच गए।यहां भारी फोर्स ने सबको रोका और गिरफ्तार कर लिया। आलम यह था कि बसें कम थीं और गिरफ्तारी देने वाले ज्यादा।जैसे तैसे गिरफ्तार कर प्रशासन पनकी थाने ले गया। वहां से सब को फतेहगढ़ जेल ले जाया गया।फतेहगढ़ जेल में भी जगह नहीं थी।बसों को जेल के बाहर खड़ा किया गया और रात भर बस में गुजारने के बाद प्रशासन को बाल चंद्र मिश्र ने चेतावनी दी कि वह लोग अयोध्या जा रहे हैं। सभी बसें लेकर अयोध्या की ओर रवाना हो गए। हालांकि रास्ते में उन्हें पुलिस ने रोका और फर्रुखाबाद के कॉलेजों में बनाई गई अस्थाई जेल में ले जाया गया।आंदोलन में शामिल महिलाओं को महिला जेल भेजा गया।अस्थाई जेल में अव्यवस्था का बोल बाला था। यहां पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेता निरुद्ध थे तो बाल चंद्र मिश्र ने एक कार्यकर्ता का स्कूटर लिया और खुद ही सबके भोजन पानी आदि की व्यवस्था करने में लग गए। बाल चंद्र मिश्र बताते हैं कि स्थानीय जिलाधिकारी ने अस्थाई जेलों की जिम्मेदारी अलग अलग अफसरों को सौंप रखी थी। जहां उन्हें निरुद्ध किया गया था वहां अव्यवस्थाएं हावी थीं।इसे लेकर उनकी अधिकारी से तीखी झड़प हो गई और अफसर मारपीट पर आमादा हो गए तो उन्होंने अधिकारी की पिटाई कर दी।जिसके बाद डीएम ने हस्तक्षेप किया और व्यवस्थाएं दुरुस्त करने का भरोसा दिलाया। पूर्व मंत्री ने उसी दौर का एक और किस्सा साझा करते हुए बताया कि एसएसपी ने कानून व्यवस्था को लेकर कानपुर के तत्कालीन एसएसपी ने जनप्रतिनिधियों के साथ एक मीटिंग की।बाल चंद्र बीजेपी विधायक थे उनके पास भी मीटिंग का आमंत्रण गया तो वह बिना डरे बैठक में पहुंच गए।अब्दोलनकारियों को उस वक्त गिरफ्तार किया जा रहा था। ऐसे में मीटिंग अटैंड करने के बाद पूरे प्रशासनिक अमले को चकमा देकर वह निकल आए। फिलहाल सैंकड़ों वर्षों के संघर्ष के फलस्वरूप अब भव्य राम मंदिर निर्माण हो रहा है और 22 जनवरी को श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होना अपार हर्ष की अनुभूति कराने वाला है। बाल चंद्र मिश्र ने आम जनमानस और बीजेपी नेतृत्व को बधाई दी है।

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