तरुण तेजपाल के खिलाफ गोवा के एक लग्जरी होटल की लिफ्ट में अपनी एक महिला सहयोगी के साथ यौन प्रताड़ना करने का आरोप था। गोवा पुलिस ने तेजपाल के खिलाफ नवंबर 2013 में एफआइआर दर्ज की थी। मई 2014 से वह जमानत पर बाहर हैं। गोवा की अपराध शाखा ने तेजपाल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
29 सितंबर, 2017 को अदालत ने उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाया था, जिसमें बलात्कार, यौन उत्पीड़न और गलत तरीके से बंधक बनाना शामिल है। हालांकि, उन्होंने अपने आप क निर्दोष बताया था। आरोप तय होने के बाद तेजपाल ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को रद्द करने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। अगस्त में, शीर्ष अदालत ने आरोपों को रद्द करने से इनकार कर दिया और मुकदमे को छह महीने के भीतर समाप्त करने का निर्देश दिया।इससे पहले अतिरिक्त जिला सत्र कोर्ट की न्यायाधीश क्षमा जोशी ने फैसला स्थगित कर दिया था। इस दौरान अदालत ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण कर्मचारियों की कमी को देखते हुए फैसला टाला जा रहा है। इस दौरान अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ तेजपाल कोर्ट में मौजूद थे। कोर्ट से बाहर आते समय तेजपाल ने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मामला विचाराधीन है।