ऐतिहासिक संघर्ष और ऐतिहासिक न्याय

कानपुर,लॉकर चोरी न्याय संघर्ष समिति द्वारा 6 अप्रैल से शुरू किया गया ऐतिहासिक जन आंदोलन मात्र 20 दिन में सुखद अंत के साथ समाप्त हुआ ।सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया फीलखाना कानपुर में बैंक के कर्मचारियों द्वारा सिलसिलेवार ढंग से 11 बैंक लॉकर में डकैती डाली गई । दुखद पक्ष ये रहा कि इस डकैती के खुलासे के बाद बैंक प्रबंधन का लॉकर धारक पीड़ितों के साथ बेहद नकारात्मक एवं अपमानजनक रवैया रहा।हर तरफ से न्याय की आस समाप्त हो चुकी थी।परंतु वैश्य महासंगठन ने पीड़ितों के आंसुओं को समझा और अपने तत्वाधान में हर वर्ग के लोगों के साथ लॉकर चोरी न्याय संघर्ष समिति का गठन किया।भारत के इतिहास में पहली बार एक बैंकिंग संस्थान ने जन आंदोलन में न्याय को स्वीकार करते हुए पीड़ितों के क्लेम के मूल्य का 75 प्रतिशत का आज ड्राफ्ट प्रदान किया । यह अपने आप में ऐतिहासिक एवं असंभव सी प्रतीत होने वाली विजय रही जो बिना किसी राजनैतिक ध्वज या बैनर या स्वार्थ के लड़ी गयी और आज उस आंदोलन में विजय पताका को फहराया गया। कितने दिनों के बाद इस लॉकर चोरी के पीड़ितों के चेहरे पर मुस्कान दिखी। किसी को भी यकीन नहीं था कि कुछ मुट्ठी भर आम लोग इतने बड़े संस्थान से संघर्ष करके न्याय हासिल करेंगे।लेकिन आज इस आंदोलन ने समस्त पूर्व विचारों को ध्वस्त कर दिया और साबित किया कि जब आम जनता सत्य के लिए और न्याय के लिए संघर्ष करती है तो देर सवेर न्याय जरूर मिलता है। संघर्ष समिति ने पहले दिन से घोषणा कर दी थी की उनके पास न्याय और मुआवजे के अलावा अन्य कोई लक्ष्य नहीं है और जब तक न्याय नहीं प्राप्त होगा तब तक आंदोलन चलता रहेगा। मुआवजा मिलने के बाद समिति के सदस्यों ने क्षेत्रीय प्रबंधक दयानंद पांडे की भूरी प्रशंसा करते हुए उनका माल्यार्पण कर सम्मान किया और इस बात की तारीफ की जिस प्रकार से क्षेत्रीय प्रबंधक ने मानवीय दृष्टिकोण से इस संघर्ष को समझा और पीड़ितों की तकलीफ को अनुभव किया ऐसा अप्रतिम उदाहरण शायद ही कभी मिले । इस आंदोलन को संघर्ष समिति मुख्य संयोजक सिद्धार्थ काशीवार के नेतृत्व में लड़ा गया । ना किसी ने भीषण गर्मी की परवाह की ना व्यापारिक नुक्सान की। सबका एक ही निस्वार्थ लक्ष्य था – न्याय ।समिति मे सक्रियता से पवन गुप्ता,अभिमन्यु गुप्ता , गुरु प्रसाद गुप्ता ,अरविंद गुप्ता , सुनील अग्रवाल, दिनेश बाजपेई,अजय प्रकाश तिवारी,दिलीप सिंह , दीपक गुप्ता,अजय श्रीवास्तव शीलू , मुकुल साहू ,ऋषि ओमर,जितेंद्र गिरी ,राहुल गुप्ता,सत्य कुमार गुप्ता,अशोक गुप्ता,दीपक गुप्ता,महेश गुप्ता,अंकुर गुप्ता,गौरव शर्मा , राजेन्द्र गुप्ता ,पीयूष गुप्ता संघर्षरत रहे

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