न्यायाधीश भगवान शनिदेव कई अन्य वजहों से भी अदभुत देवता के रूप में पूजनीय हैं। इसी सन्दर्भ में शनि की चाल मंद यानी धीमी मानी जाती है, तो दृष्टि वक्र यानी टेढ़ी। परन्तु उनका न्याय का हिसाब-किताब सीधा ओर सटीक होता है, यानी अच्छे कर्मों पर कृपा व बुरे कर्मों पर दण्ड। यही कारण है कि जहां शनिदेव की शुभ दृष्टि भाग्य बनाने वाली तो वहीं उनकी अशुभ दृष्टि कहर भी बरपाने वाली मानी जाती है।
* शनिदेव की कृपा के लिए ही शनिदेव की चाल बदलने, शनि महादशा, साढ़े साती या ढैय्या में शनि की कृपा से सौभाग्य, सफलता व सुख की कामना पूरी करने के लिए शास्त्रों में शनि के सरल और सहज नाम मंत्रों का स्मरण मंगलकारी माना गया है। शनि साढ़े साती या ढैय्या से प्रभावित राशि वालों के लिए शनि का स्मरण विशेषरूप से धन, रोजगार व समृद्धि की बाधा दूर कर देता है।
* जानिए, शनि भक्ति से अपनी कामनाएं पूरी करने के लिए कुछ आसान शनि मंत्र व पूजा के सरल उपाय :
– शनिवार को या फिर प्रतिदिन भी शनि देवालय में शनि देव की काली पाषाण मूर्तियों को सरसो या तिल का तेल, काले तिल, काले वस्त्र, उड़द की दाल, फूल व तेल से बनी मिठाई या पकवान अर्पित कर समृद्धि की कामना से नीचे लिखे सरल शनि मंत्रों का स्मरण करें :
ॐ धनदाय नम:
ॐ मन्दाय नम:
ॐ मन्दचेष्टाय नम:
ॐ क्रूराय नम:
ॐ भानुपुत्राय नम:
– पूजा व मंत्र स्मरण के बाद शनि की धूप व तेल दीप से आरती भी करें। दोषों के लिए क्षमा की प्रार्थना करें व प्रसाद ग्रहण करें।