कानपुर जिला जेल में बसपा नेता पिंटू सेंगर की हत्या में बंद हिस्ट्री शीटर पप्पू स्मार्ट व जेल
अधिकारियों के बीच मिलीभगत के मामले में कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज हो गया है। पप्पू स्मार्ट ने जेल के अंदर रहते हुए अपनी मां को पावर आफ अटार्नी (अधिकार पत्र) दे दी थी। नियमानुसार इसके लिए अदालत से आदेश भी नहीं लिया और जिस दिन पावर आफ अटार्नी के दस्तावेज बने उस दिन वह जेल में था, जबकि उसे कोर्ट परिसर में मौजूद दिखाया गया।
पुलिस आयुक्त ने प्रकरण की जांच एडीसीपी पूर्वी सोमेंद्र मीणा को दी थी। एफआइआर में पप्पू स्मार्ट, अज्ञात जेल अधिकारियों के अलावा पप्पू स्मार्ट की मां, बेटे व भतीजे, मसविदाकर्ता और नोटरी सत्यापनकर्ता को भी आरोपित बनाया गया है। एफआइआर के बाद जेल प्रशासन में हलचल मची हुई है, क्योंकि इस प्रकरण में जेल प्रबंधन ही सवालों के घेरे में है।
यहां जानिए, क्या है पूरा मामला
अधिवक्ता संदीप शुक्ला ने 2015 में पप्पू स्मार्ट के खिलाफ चकेरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें उसके पर फर्जी दस्तावेज लगाकर पीडब्ल्यूडी की जमीन कब्जाने का आरोप था। पुलिस ने गिरफ्तार न होने पर पप्पू स्मार्ट के जूते के शोरूम को पांच जून 2019 को कुर्क कर लिया था। इस कुर्क संपत्ति को मुक्त कराने के लिए पप्पू स्मार्ट ने आठ अप्रैल 2021 को मां मेहर जहां को अपना मुख्तार-ए-आम घोषित किया था। इस दस्तावेज में पप्पू स्मार्ट का बेटा जैन कालिया, भतीजे फराज शोएब गवाह बने हैं, जबकि मुख्तारनामा का मसविदाकर्ता रामसेवक यादव और नोटरी सत्यापनकर्ता शिवभोली दुबे है।
नियमानुसार जब कोई आरोपित जेल में होता है तो उसे पावर आफ अटार्नी के लिए अदालत की अनुमति लेनी पड़ती है। इस मामले में पप्पू स्मार्ट ने अदालत से कोई आदेश नहीं लिया। पावर आफ अटार्नी में जो दस्तावेज लगाए गए हैं, उनके मुताबिक पप्पू स्मार्ट आठ अप्रैल 2021 को जेल से बाहर कोर्ट परिसर में था, क्योंकि नोटरी करने वालों ने ऐसा ही सत्यापित किया है, जबकि जेल के रिकार्ड के मुताबिक पप्पू स्मार्ट इस दिन जेल से बाहर नहीं आया। सवाल यह है कि जब वह जेल में था तो उसके हस्ताक्षर किसने किए।
एक अनुमान यह भी है कि जेल प्रशासन की मिलीभगत से जेल के अंदर रहते ही उसने हस्ताक्षर किए और बाद में नोटरी करने वालों ने गलत सत्यापन किया। हालांकि अब अब मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस इन्हीं सवालों का जवाब तलाश रही है।
बढ़ेगी जेल प्रशासन की मुसीबत : इस मामले में जेल प्रशासन की मुसीबत आने वाले समय में बढ़ेगी। पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने एडीसीपी पूर्वी सोमेंद्र मीणा को जांच दी थी। इस दौरान उन्होंने मसविदाकर्ता रामसेवक यादव और नोटरी सत्यापनकर्ता से भी बयान लिए। सूत्रों के मुताबिक दोनों का दावा है कि पप्पू स्मार्ट ही आया था। अब यह जेल प्रशासन को साक्ष्य देना होगा कि पप्पू स्मार्ट उस दिन वैध या अवैध तरीके से जेल से बाहर नहीं आया।