कलयुग के नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा

महिला शिक्षा मंडल के 73वें वार्षिक अधिवेशन के चौथे दिवस पर कथा व्यास उषा खरे ने श्रीराम कथामृत वर्षा करते हुये बताया कि परिवार को एक सूत्र में बांधने की कला प्रभु श्रीराम से सीखनी चाहिये। आदर्श भाई भरत द्वारा राज्य त्यागकर, प्रभु को मनाने के लिये चित्रकूट जाना, ना आने पर 14वर्षों तक चरण पादुका को सिहांसन में रखकर राज्य करने, सुग्रीव मित्रता, शबरी उद्धार, सीता खोज का सुंदर वर्णन किया।
संचालिका सुश्री सीता देवी ने स्वागत करते हुये कहा कि भक्ति में त्याग तथा समर्पण होना चाहिये।
वृन्दावन से पधारे भगवताचार्य स्वामी हरि कृष्णानंद ने कहा कि प्रभु के चरणों मे मन नहीं लगाया तो हर तन पाने का क्या फायदा। कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर-2 नर उतरहि पारा। पर व्याख्या की।
स्वामी जगदीश्वरानंद एवं फतेहपुर से पधारे स्वामी नारायणानंद ने महिला शिक्षा मंडल के सफल गीता ज्ञान यज्ञ में भागीदारी के लिये ब्रम्हलीन कृष्णा देवी एवं ब्रम्हलीन माता गायत्री देवी की सराहना की। कुशल संचालन वरिष्ठ पदाधिकारी मीरा गर्ग द्वारा किया गया। आज के विशिष्ट अथिति श्रीमती सीमा एवं श्री शरद प्रकाश अग्रवाल (आयकर अधिकारी) रहे।जिन्हें संस्था की ओर से फूलमाला अंगवस्त्र के साथ स्मृति चिन्ह भी बहुत किया गया। इस अवसर पर विश्व शांति व स्वास्थ्य के लिये गीता ज्ञान यज्ञ की पूर्ण आहुति सैकड़ों लोगों द्वारा दी गई। उपस्थिति अन्य प्रमुख लोगों में अध्यक्षा गीता अग्रवाल, अनुभूति पत्रिका की सम्पादक श्रीमती निरंजन शुक्ला, निति, निधि, ज्योति, मधु, मीना, निर्मला बंसल, राजेन्द्र गुप्ता, अनिल त्रिपाठी, राजेन्द्र अवस्थी, सूरज सिंह, चंदन अवस्थी आदि रहे। अंत में आभार देते हुये कल प्रातः कालीन सत्र में श्रीराम कथा में राज्याभिषेक के साथ समापन तथा भंडारे का प्रसाद वितरण में सभी भक्त शामिल रहने की अपील की गयी।

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